परिषदीय विद्यालयों में फेस रीडिंग अटेंडेंस के विरोध में मुखर हुए शिक्षक संगठन
बलिया, 30 नवम्बर (हि.स.)। परिषदीय विद्यालयों में शिक्षकों की फेस रीडिंग अटेंडेंस यानी ऑनलाइन हाजिरी दर्ज करने व सभी रिकॉर्ड ऑनलाइन करने के आदेश का शिक्षक संगठनों ने मुखर विरोध शुरू कर दिया है। विशिष्ट बीटीसी शिक्षक वेलफेयर एसोसिएशन ने आरोप लगाया कि सरकार इस तरह का माहौल बना रही है, जैसे शिक्षक अपने दैनिक कर्तव्य करना नहीं चाहते हैं।
विशिष्ट बीटीसी शिक्षक वेलफेयर एसोसिएशन के जनपदीय अध्यक्ष डा. घनश्याम चौबे ने कहा कि सुनियोजित तरीके से शिक्षक बिरादरी को लेकर एक नकारात्मक माहौल बनाया जा रहा है। आए दिन तुग़लकी फरमानों एवं गैर शैक्षणिक कार्यों के बोझ के कारण शिक्षक अपने पदेन दायित्वों के निर्वहन में असहज महसूस कर रहा है। बेसिक शिक्षा परिषद को प्रयोगशाला बना दिया गया है।
उन्होंने दुख जताते हुए कहा कि शिक्षक ऑनलाइन हाजिरी का विरोध क्यों कर रहे हैं, इसको लेकर मीडिया व सामाजिक संगठनों ने पीड़ा नहीं समझी। ए.सी. कमरों में बैठने वाले हुक्मरान यह नहीं जानना चाहते कि जो विद्यालय दुर्गम क्षेत्रों में है। जहां आवागमन का कोई साधन नहीं है, पगडंडी वाला रास्ता है, जहां किसी वाहन से चल पाना संभव नहीं है या बरसात के दिन में कुछ विद्यालय जलमग्न हो जाते हैं। वहां अध्यापक कैसे पूरे वर्ष समय से पहुंचेगा। जबकि कुछ विशेष दिवसों में शिक्षक को देरी हो सकती है। वह देरी बारिश, बाढ़, प्राकृतिक आपदा, रेलवे क्रॉसिंग बंद होने से भी हो सकती है। यातायात के संसाधनों के विलंब होने के कारण, वह देरी सोमवार को फलों की टोकरी लाद कर विद्यालय ले जाने से भी हो सकती है। मांग किया कि जबरन दी जाने वाली गर्मी की छुट्टियां समाप्त होनी चाहिए। उसके स्थान पर 30 दिवस ईएल की व्यवस्था होनी चाहिए। 15 दिन हाफ डे लीव की व्यवस्था होनी चाहिए। क्योंकि परिवार या किसी संबंधी के यहां विवाह शादी या दुर्घटना के लिए शिक्षक मात्र 14 आकस्मिक अवकाश से कैसे अपनी जिम्मेदारियों का निर्वहन कर सकेंगे। ऐसी परिस्थिति में अब जरूरी है कि मजबूती के साथ उलुल-जुलूल आदेशों का शिक्षकों द्वारा एकजुटता के साथ विरोध किया जाए। इस क्रम में विशिष्ट बीटीसी शिक्षक वेलफेयर एसोसिएशन प्रांतीय नेतृत्व के निर्देश के क्रम में कोलैबोरेशन बनाकर फेस रीडिंग अटेंडेंस का पुरजोर विरोध करेगा।
डिजिटल हाजिरी तुगलकी फरमान : घनश्याम चौबे
विशिष्ट बीटीसी शिक्षक वेलफेयर एसोसिएशन के जनपदीय अध्यक्ष डा.घनश्याम चौबे ने कहा कि स्कूल शिक्षा महानिदेशक के आदेश से विगत एक वर्ष से लगातार निरीक्षण का कार्य चल रहा है। बमुश्किल एक प्रतिशत शिक्षक एक या दो मिनट ही देरी से आने पाए गए हैं। उसके बावजूद डिजिटल हाजिरी जैसा कदम अव्यावहारिक व तुग़लकी फरमान है। शिक्षा के उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए प्रबंधन का यह दायित्व होता है कि उद्देश्य की सम्प्राप्ति के लिए भौतिक, मानवीय तथा आर्थिक संसाधनों का समायोजन करें ना कि मशीन की तरह व्यवस्था का यंत्रीकरण। हुक्मरानों को यह भी दिखाई नहीं देता कि जो विभाग समय से स्थानांतरण नहीं कर सकता, समय से पदोन्नति और बकाया देयकों को नहीं दे सकता, वह किस तरह शिक्षकों के साथ न्याय का झूठा दिखावा कर सकता है। सवाल उठाया कि क्या विद्यालयों को वह समस्त भौतिक सुविधाएं प्राप्त हो पाई हैं जो एक विद्यालय के लिए जरूरी हैं? उत्तर मिलेगा बिल्कुल नहीं। यह दुर्भाग्यपूर्ण विषय है कि शिक्षक-शिक्षिकाओं को स्वविवाह के लिए भी चिकित्सकीय अवकाश का सहारा लेना पड़ता है। हुक्मरान अपने जिद्दी रवैये में इस कदर मशगूल हैं कि उन्होंने प्रदेश के मुखिया तक को दिग्भ्रमित कर रखा है।
हिन्दुस्थान समाचार/एन पंकज/राजेश