कलयुग में दान पर टिका है धर्म : जीयर स्वामी
बलिया, 10 सितम्बर (हि. स.)। श्री लक्ष्मी प्रपन्न जीयर स्वामी में भागवत की कथा सुनाते हुए कहा कि कलयुग में धर्म सिर्फ दान पर टिका है। जीयर स्वामी जी महाराज शनिवार को गंगा किनारे जनेश्वर मिश्र सेतु के करीब चातुर्मास ज्ञान यज्ञ में बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि भगवान श्री कृष्ण के नित्यधाम जाते ही कलियुग का आगमन पृथ्वी पर हो गया।
राजा परीक्षित ने कलि को सशरीर पकड़ लिया। वह चांडाल वेष में गाय और बैल को पैर से मारते हुये ले जा रहा था। राजा परीक्षित ने वृषभ रूपी धर्म से पूछा कि तुम्हारे तीन पैर किसने तोडे। वृषभ ने कहा मैं धर्म हूं। मेरे चार पैर सत्य, तप, दया और दान हैं। सतयुग में धर्म के चारों पैर सुरक्षित थे। त्रेतायुग में सत्य कमजोर हो जाने से एक पैर टूट गया। द्वापर में सत्य और तप दोनों कमजोर हो जाने से दुसरा पैर टूट जाता है। कलयुग में सत्य, तप और दया तीनों कमजोर हो जाने से तीनों पैर टूट गए हैं। अर्थात इन तीनों की गरिमा नहीं रह जाती है। चारों तरफ छल, कपट, कलह, अनीति, अन्याय और अधर्म का बोलबाला हो जाता है। इस गूढ़ रहस्य की चर्चा करते हुए स्वामी जी ने बताया कि कलियुग में धर्म सिर्फ दान के बल पर टिका हुआ है। दान के माध्यम से ही लोगों का कल्याण हो सकता है। उन्होंने कहा जिस तरह धर्म के चार पुत्र हैं। उसी तरह अधर्म के चार पुत्र हैं लोभ, अनीति, कलह और दम्भ। यह चारों कलि के प्रभाव से धीरे-धीरे बलवान होते जाते हैं। इनके प्रभाव में जो आएगा उसका धर्म भ्रष्ट होना तय है।
स्वामी जी ने कहा कि जो सदाचारी विप्रों इत्यादि की हत्या करता है, धोखा देता है, कपट करता है। उसको महापापी कहा गया है। महापापी है गोघाती जो गाय को कसाई के यहां बेचता है। कसाई से उसको पहचान है या सम्पर्क है। वह भी महापापी है। शास्त्र में वह गोघाती भी कहा गया है। तीसरा है विश्वासघाती। रात दिन मैत्री है थोड़ी सी बात में अपने मित्र से परिवार से विश्वासघात कर दिया उसे भी महापापी कहा गया है। मद्यसेवी यानी शराब पीने वाला व्यक्ति भी महापापी है।
हिन्दुस्थान समाचार/पंकज