पंच प्राणों के सहयोग से समुन्नत होते हैं विद्यालय : हेमचंद्र
अयोध्या,19 मार्च (हि.स.)। पंच प्राणों छात्र, आचार्य, अभिभावक, पूर्व छात्र तथा प्रबंध समिति के सहयोग तथा उनके विचारों को समायोजित करते हुए जब विद्यालय की कार्य योजना बनती है, तभी विद्यालयों का समुत्कर्ष होता है।
उक्त विचार विद्या भारती पूर्वी उत्तर प्रदेश क्षेत्र के क्षेत्रीय संगठन मंत्री हेमचंद्र ने साकेत निलयम संघ कार्यालय में प्रांतीय प्रधानाचार्य कार्य योजना बैठक में कही।
उन्होंने उद्घाटन सत्र में अवध प्रांत के 13 जनपदों के 125 प्रधानाचार्यों को संबोधित करते हुए कहा कि विद्या भारती 1952 में गोरखपुर के पक्की बाग से प्रारंभ होकर आज भारत के हर क्षेत्र में विद्या भारती का कार्य प्रारंभ हो चुका है। नेपाल राष्ट्र में भी पशुपति शिक्षा के माध्यम से कार्य चल रहा है। विद्या भारती देश में 13000 विद्यालय तथा 12000 एकल विद्यालयों का संचालन कर रही है। जिसमें 36 लाख भैया-बहन अध्ययन कर रहे हैं। डेढ़ लाख आचार्य राष्ट्रीय शिक्षा नीति के नियमानुसार गतिविधि आधारित शिक्षण कर रहे हैं। पूर्व छात्रों का सबसे बड़ा संगठन विद्या भारती बन चुका है, जिसमें पोर्टल पर 25 लाख पूर्व छात्रों का पंजीकरण हो चुके हैं।
उन्होंने कहा कि विद्या भारती अपने प्रारंभ काल से ही चिंतन व प्रयास से समाज जीवन के सभी क्षेत्रों में अभिनव प्रयोग कर रही है, जिसमें हमारे प्रधानाचार्य केंद्रीय भूमिका में होते हैं। प्रधानाचार्य व विद्यालय अर्थात संस्था व परिवेश दोनों एक दूसरे के पूरक हैं। कोई विद्यालय अपने उत्कर्ष के आधार पर परिवेश को भी बदलने की क्षमता रखता है। इन सभी का आधार एक पुष्ट व सफल योजना का निर्माण है। अपनी योजना का केंद्रीय भाग हिंदुत्व है। हिंदुत्व का प्रवाह ही समाज को उचित दिशा दे सकता है।
बैठक की अध्यक्षता करते हुए राजकुमार दास (अधिकारी) श्री रामवल्लभा कुंज ने कहा कि आप सभी के परिश्रम की पराकाष्ठा के परिणाम स्वरूप सीता, सावित्री, अपाला, घोषा जैसे महापुरुषों का निर्माण कर सनातन, संस्कृति और संस्कारों युक्त शिक्षा देकर राष्ट्र की संरचना में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वहन कर रहे हैं।
बैठक की प्रस्ताविकी राम जी सिंह (प्रदेश निरीक्षक) भारतीय शिक्षा समिति उत्तर प्रदेश ने रखी। अतिथि परिचय एवं सम्मान संयोजन एवं प्रधानाचार्य अवनि कुमार शुक्ल ने कराया। संचालन सुरेश सिंह सीतापुर ने किया।
संयोजक पवन कुमार ने बताया कि 31 मार्च 2024 को 62 वर्ष की आयु पूर्ण कर सेवा निवृत होने वाले प्रधानाचार्य क्रमशः काली प्रसाद मिश्र, शांति स्वरूप सिंह, शिव कुमार गिरी, ओमप्रकाश तिवारी, रामसुंदर शुक्ल तथा दिनेश कुमार अवस्थी को सम्मानित कर उनके उज्जवल भविष्य की कामना की गई।
कार्यक्रम के दौरान विद्या भारती की वार्षिक पत्रिका क्षितिज का विमोचन अतिथियों द्वारा किया गया। प्रमुख रूप से योगेश कुमार (क्षेत्रीय सेवा शिक्षा संयोजक), कृष्ण चंद्र (कार्यालय प्रमुख), जगदीश सिंह, अवरीश कुमार (संभाग निरीक्षक), उत्तम कुमार मिश्र (प्रांतीय संयोजक संस्कृति बोध परियोजना) उपस्थित रहे।
हिन्दुस्थान समाचार/पवन पाण्डेय/मोहित/राजेश