जगजीवन बाबू के निधन पर उन्हें श्रद्धांजलि देने गांव पहुंच रहे लोग
अयोध्या, 02 फरवरी (हि. स.)। सपा संस्थापक और यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव के निजी सचिव व सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव के ओएसडी रहे जगजीवन बाबू का शुक्रवार को निधन हो गया। जगजीवन बाबू के निधन पर अखिलेश यादव ने दुख व्यक्त करते हुए शोक संतप्त परिवार के प्रति गहरी संवेदना की।
मिल्कीपुर तहसील के ग्राम सराय धनेठी पूरे पाण्डेय में जन्मे जगजीवन प्रसाद गुप्ता दस संतानों के पिता हैं। जगजीवन बाबू आजीवन मुलायम परिवार के खासमखास रहे। इनका जन्म पांच जून 1955 को हुआ था। स्वर्गीय गुप्ता की इंटर तक की पढ़ाई लिखाई गांव में ही हुई थी। उसके बाद उन्होंने स्नातक और परास्नातक की परीक्षा पास की। इसके साथ ही उन्होंने विधि स्नातक की भी डिग्री ली थी। जगजीवन के सात बेटियां बड़ी बेटी किरण, फिर सुमन, रेनू, चंद्रकांता, सौम्या, प्रियंका और सबसे छोटी बेटी अंशु है। इनके तीन बेटे भी हैं। जिनमें कृष्ण मुरारी सबसे बड़े और श्याम मुरारी मंझले तथा मोहन मुरारी छोटे पुत्र हैं।
जगजीवन बाबू का लखनऊ गोमती नदी के भैंसाकुंड घाट पर अंतिम संस्कार किया गया। उनके बड़े बेटे कृष्ण मुरारी ने उन्हें मुखाग्नि दी। समाजवादी पार्टी के निर्माण से पूर्व जनता दल के जमाने से ही जगजीवन प्रसाद मुलायम सिंह यादव के खास सिपहसालारों में से एक थे। जब प्रदेश में मुलायम सिंह की सरकार बनी तो जगजीवन जी उनके निजी सचिव बने। यही नहीं लोग बताते हैं कि जगजीवन बाबू मुलायम सिंह यादव के आर्थिक साम्राज्य का लेखा-जोखा भी रखते थे। मुलायम सिंह ने इन्हें वर्ष 2016 में विधान परिषद सदस्य बनाया। मिल्कीपुर तहसील में और अयोध्या जनपद के कई महत्वपूर्ण स्थान पर जगजीवन प्रसाद की संपत्ति विद्यमान है। स्वर्गीय गुप्ता लखनऊ में भी तमाम संस्थाओं के मालिक हैं। गांव में ही इन्होंने राजकुमारी महिला महाविद्यालय की स्थापना 20 साल पहले करवाई थी। परिजनों ने बताया कि 68 वर्षीय जगजीवन बाबू के अंतिम संस्कार में अखिलेश यादव सहित तमाम बड़े राजनेता और संभ्रांत लोग मौजूद रहे।
पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने सोशल मीडिया पर ट्वीट कर लिखा कि पूर्व एमएलसी, आजीवन नेताजी के पारिवारिक सदस्य की तरह रहे। समाजवादी पार्टी के सशक्त स्तम्भ जगजीवन बाबू जी का निधन, अत्यंत दु:खद है। दिवंगत आत्मा को भगवान शांति दे। शोक संतप्त परिवार के प्रति उन्होंने गहरी संवेदना व्यक्त की है।
उनके पैतृक गांव सराय धनेठी पूरे पांडे में उन्हें श्रद्धांजलि देने वाले पहुंच रहे हैं। गांव के पूर्व प्रधान चंद्रेश सिंह ने बताया कि गांव में उनके सभी लोगों से बड़ा मिलनसार व्यवहार रहता था। लखनऊ जाने पर गांव के प्रत्येक व्यक्ति को यथोचित सम्मान देते थे। प्यार से उन्हें लोग बाबूजी पुकारते थे।
हिन्दुस्थान समाचार /पवन पाण्डेय/बृजनंदन