अयोध्या दीपोत्सव : श्रीराम के लौटते ही रोशनी से नहाई अयोध्या
अयोध्या,12 नवम्बर (हि.स.)। चौदह वर्षों के वनवास के बाद भगवान श्रीराम, माता जानकी व लक्ष्मण सहित अयोध्या पहुंचने के बाद चहां के कण-कण से उल्लास फूट उठा है। हर ओर आनंद छाया हुआ है। साधु-संतों सहित श्रद्धालु इस पर्व की बधाईयां दे रहे हैं तो वहीं श्रीराम मंदिर के गर्भगृह में भी दीप जलाई गई।
इस मौके पर श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चम्पत राय ने देशवासियों को हार्दिक शुभकामनाएं दी और अपने संदेश में कहा कि मेरी कामना है कि यह प्रकाश पर्व आप सभी के जीवन में सुख,सम्पन्नता और सौभाग्य लेकर आए।
उल्लेखनीय है कि प्रदेश सरकार ने शनिवार को ही दीपोत्सव का दिव्य भव्य अयोजन कर 22 लाख, 23 हजार दीप जलाकर विश्व में कीर्तिमान स्थापित किया है।
रविवार को श्रीरामजन्मभूमि, कनक भवन, दशरथ महल, श्रीरामवल्लभाकुंज, हनुमानगढ़ी, नागेश्वरनाथ मंदिर, मणिरामदासजी की छावनी, दशरथमहल बड़ास्थान, अशर्फीभवन, वेदभवन, लक्ष्मणकिला, श्रीजानकी महल ट्रस्ट, रामहर्षण कुंज, सियाराम किला, कोसलेश सदन, गोकुल भवन, विजयराघव मंदिर नई छावनी, राजसदन मंदिर, दंतधावन कुण्ड, उत्तर तोताद्रि मठ, दिगम्बर अखाड़ा, वेद भवन, उदासीन ऋषि आश्रम रानोपाली, हनुमानबाग, बड़ा भक्तमाल, राजगोपाल मंदिर, लक्ष्मण किला, हनुमत सदन, हनुमत निवास, वेद मंदिर, रंगवाटिका, बिरला मंदिर, उदासीन ऋषि आश्रम रानोपाली, उत्तर तोताद्रि मठ आदि सैकड़ों मंदिर में यह पर्व धूमधाम से मनाया गया।
सरयू स्नानघाटों से लेकर कनक भवन, हनुमानगढ़ी, रामलला के अस्थाई मंदिर, राम मंदिर निर्माण कार्य स्थल, श्रीरामवल्लभाकुंज, मणिराम दास जी की छावनी, दशरथ महल, विजय राघव मंदिर नई छावनी, लक्ष्मण किला, सियाराम किला, कालेराम मंदिर, रंगमहल, अशर्फी भवन सहित सैकड़ों मंदिरों सहित रामनगरी का कोना-कोना भव्य रोशनी से नहा उठा है।
मंदिरों में गर्भगृह में विराजमान श्रीराम, लक्ष्मण व जानकी सहित हनुमान की प्रतिमाओं को भव्य वस्त्र, आभूषणों से सुसज्जित कर विविध प्रकार की मिठाईयों का भोग लगाया गया। रामलला के अस्थाई मंदिर, कनक भवन, हनुमानगढ़ी आदि मंदिरों में देशी घी के दीपक जलाए गए। प्रभु के स्वागत में सभी प्रमुख मंदिरों में सोमवार को अन्नकूट का पर्व धूमधाम से मनाया जाएगा। इस महोत्सव की तैयारियां तेज हो गई हैं।
चक्रवर्ती राजा दशरथ जी के राजमहल मंदिर के महंत विंदुगाद्याचार्य महंत देवेंद्र प्रसादाचार्य ने बताया कि मान्यता है कि लंका पर विजय के बाद भगवान श्रीराम दीपावली के दिन अयोध्या लौटे थे। इस दिन उनके स्वागत में सरयू तट से लेकर मंदिरों की चौखट तक लाखों दीप जलाकर खुशियां मनाई जाती हैं।
प्रभु श्रीराम-जानकी के स्वागत में दीपावली के अगले दिन अन्नकूट का आयोजन कर विविध व्यंजनों से परंपरागत स्वागत किया जाता है। इस अवसर पर भगवान को 56 व्यंजनों का भोग लगाया जाता है। संतों-महन्तों सहित बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं भी पर्व का प्रसाद ग्रहण करते हैं।
हिन्दुस्थान समाचार/पवन
/राजेश