संगीत में राग शैलियों का अपना महत्वपूर्ण स्थानः डाॅ0 सीमा भारद्वाज

 




अयोध्या,23 नवम्बर (हि. स.)। डाॅ0 राममनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय के 28वें दीक्षान्त समारोह के उपलक्ष्य में दीक्षांत सप्ताह के अन्तर्गत परिसर के संगीत एवं अभिनय कला विभाग द्वारा ’’एक थाट अनेक राग एवं इसकी विभिन्न शैलियों’’ विषय पर एक विशिष्ट व्याख्यान का आयोजन किया गया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि भातखण्डे संगीत विश्वविद्यालय लखनऊ की डाॅ0 सीमा भारद्वाज ने विद्यार्थियों को विभिन्न रागों से सम्बन्धित तकनीकी गुण सिखायें और बताया कि संगीत के तथ्यपरक सिद्धान्त में राग शैलियों का अपना महत्वपूर्ण स्थान है। उन्होंने बताया कि भारतीय संगीत घराने अपने विकास का आधार विभिन्न प्रकार के रागों से ही विश्लेषित करते है। कार्यक्रम में डाॅ0 भारद्वाज ने एक स्वर पर आधारित विभिन्न रागों की गायन विधि से छात्र-छात्राओं को परिचित कराया।

कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए कला एवं मानविकी संकायाध्यक्ष प्रो0 आशुतोष सिन्हा ने बताया कि प्रत्येक व्यक्ति के जीवन में सुगम संगीत का बहुत ही महत्व होता है, जिसमें विभिन्न प्रकार की रागों के द्वारा विभिन्न शैलियों के परम्परागत गीत निरन्तर प्रत्येक व्यक्ति के मन को अहलादित करते रहते है। उन्होंने सभी छात्र-छात्राओं को संगीत विभिन्न विधाओं में पारंगत होने के लिए उत्प्रेरित किया। कार्यक्रम में संगीत एवं अभिनय कला विभाग के समन्वयक प्रो0 विनोद कुमार श्रीवास्तव ने बताया कि विशिष्ट व्याख्यान निश्चित रूप से संगीत के छात्र-छात्राओं के लिए लाभकारी होगा तथा प्रत्येक छात्र-छात्रा निश्चित रूप से अपनी राग दक्षता में सुधार अवश्य करेगा। कार्यक्रम का संचालन ललित कला की डाॅ0 सरिता द्विवेदी ने की। उन्होंने कार्यक्रम में संगीत एवं कला के अन्तः संबध की विशद विवेचना प्रस्तुत की। कार्यक्रम की संयोजिका डाॅ0 रचना श्रीवास्तव ने अतिथियों का परिचय कराते हुए परम्परागत संगीत एवं लोक परम्परा की विषय वस्तु से लोगो को परिचित कराया। संगीत एवं अभिनय कला विभाग की कविता पाठक द्वारा धन्यवाद ज्ञापित किया। इस अवसर पर प्रो0 मृदुला मिश्रा, डाॅ0 प्रिया कुमारी, डाॅ0 अलका श्रीवास्तव, सरिता सिंह, दिलीप पाल, विजय कुमार शुक्ला, हीरा लाल यादव, शिव शंकर यादव सहित बड़ी संख्या में छात्र-छात्रायें उपस्थित रहे।

हिन्दुस्थान समाचार /पवन पाण्डेय

/बृजनंदन