अवध विवि में स्कूली शिक्षा में श्रीराम के आर्थिक चिंतन की प्रासंगिकता पर विद्वानों ने किया मंथन
-अविवि में श्रीराम का अर्थशास्त्र पर आयोजित तीन दिवसीय कार्यशाला सम्पन्न
अयोध्या,07 मार्च (हि.स.)। डाॅ0 राममनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय में ‘श्रीराम का अर्थशास्त्र‘ पुस्तक के लिए आयोजित तीन दिवसीय कार्यशाला का समापन हुआ। अवध विश्वविद्यालय एवं भारत सरकार शिक्षा मंत्रालय के राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद्, नई दिल्ली के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित कार्यशाला के अंतिम दिन गुरूवारको अर्थशास्त्र एवं ग्रामीण विकास विभाग में उक्त विषय से संबंधित विद्वानों का जमावड़ा रहा। इस कार्यशाला में एनसीईआरटी, दिल्ली के सामाजिक विज्ञान शिक्षा विभाग की शोध परियोजना समन्वयक डॉ. प्रतिमा कुमारी ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के परिपेक्ष्य में अन्तर्विषयी स्कूली शिक्षा के लिए वाल्मीकि रामायण में वर्णित ‘श्री राम के आर्थिक चिंतन‘ एवं उसकी स्कूली शिक्षा में आवश्यकता एवं प्रासंगिकता पर प्रकाश डाला। उन्होंने श्रीराम का अर्थशास्त्र पुस्तक के लिए विभिन्न विषयों एवं उनकी रुपरेखा पर स्थानीय विद्वानों से गहन चर्चा की।
कार्यशाला की अध्यक्षता करते हुए विश्वविद्यालय के कला एवं मानविकी संकायाध्यक्ष प्रो. आशुतोष सिन्हा ने श्रीराम का अर्थशास्त्र विषय पर उनके सकारात्मक संदर्भो से परिचित कराया। इस कार्यशाला में प्रो. प्रमोद कुमार दूबे ने बाल्मीकि रामायण एवं रामचरित मानस के प्रसंगों का उल्लेख करते हुए वर्तमान परिपेक्ष्य में इसकी प्रासंगिकता पर चर्चा की। इसी क्रम में बलदेवानंद सागर ने भारतीय संस्कृति के मूल्यों की चर्चा की। डॉ. वेद प्रकाश ने पुस्तक से संबंधित विभिन्न सन्दर्भों की चर्चा की।
कार्यशाला में डॉ. रामानंद शुक्ल ने राम के काल को धर्म से अनुप्राणित बताते हुए कहा कि राम का कोई भी कार्य धर्म विवर्जित नहीं था। वहीं प्रो. मंशाराम वर्मा ने कहा कि श्रीराम के सन्दर्भ में अर्थशास्त्र व्यापक अर्थों वाला है। डॉ. राकेश शुक्ल ने कहा कि भगवती सीता की संकल्पना के बिना त्रिवर्ग की कल्पना नहीं की जा सकती है। प्रो. प्रज्ञा मिश्रा ने ऐतिहासिक सन्दर्भों की चर्चा करते हुए श्री राम की नीतियों की चर्चा की।
इस कार्यशाला में भारत संस्कृति न्यास के संजय तिवारी ने कहा कि भारतीय संस्कृति के बिना भारत का आर्थिक विकास संभव नहीं है। एम.एल.सी. अवनीश कुमार सिंह ने बताया कि रामायण में वर्णित शल्य चिकित्सा को इस पुस्तक का भाग बनाया जाना बहुत महत्वपूर्ण है। इस कार्यशाला का संचालन एवं धन्यवाद ज्ञापन रा.शै.अनु.प्र.प. दिल्ली के सा.विशि.वि. की विभागाध्यक्ष प्रो. गौरी श्रीवास्तव ने किया। इस कार्यशाला में डॉ. मुकेश वर्मा, डॉ. अमित मिश्र, प्रो. मृदुला मिश्र, रामलाल विश्वकर्मा, विजय कुमार शुक्ल, कुमार मंगलम सिंह एवं डॉ. राजेश्वर मिश्रा सहित बड़ी संख्या में विषय के विद्वान मौजूद रहे।
हिन्दुस्थान समाचार /पवन पाण्डेय
/बृजनंदन