अयोध्या में अन्नकूट पर्व पर मंदिरों में रामलला को लगा 56 व्यंजनों का भोग

 












अयोध्या,14 नवम्बर (हि.स.)। अयोध्या में दीपावाली के बाद अन्नकूट का भी विशेष महत्व है। लंका विजय के बाद श्रीराम,माता सीता व लक्ष्मण के अयोध्या पहुंचने की खुशी में दीपावली का त्यौहार मनाया जाता है। दीपावली के बाद अन्नकूट महोत्सव रामनगरी के सभी मंदिरो राम लला भगवान को 56 व्यंजनों का भोग लगाकर मनाया गया। इस अवसर पर विशेष पूजन के बाद भगवान को 56 व्यंजनों का भोग लगाकर श्रद्धालुओं में प्रसाद वितरित किया गया।

अन्नकूट के विषय में पौराणिक कथाओं में बताया गया है कि अयोध्या आगमन के अगले दिन सभी को भोजन में छप्पन प्रकार के व्यंजन परोसे गए थे। जिसके बाद से अन्नकूट मनाने की परंपरा चली आ रही है। सुबह से ही राम जन्मभूमि,कनक भवन,हनुमान बाग,मणिराम छावनी, रामबल्लभा कुंज, झुनकी घाट और सदगुर सदन सहित सभी मंदिरों में छप्पन प्रकार के व्यंजन बनाए गए। अयोध्या के छोटे-बड़े मिलाकर लगभग पांच हजार से अधिक मंदिरों में अन्नकूट के पर्व पर युगल सरकार को 56 प्रकार के व्यंजनों का भोग लगाया गया।

इस पर्व को दीपावली के दूसरे दिन अन्नकूट महोत्सव मनाया जाता है। लेकिन इस वर्ष ओरिया तिथि की मान्यता के कारण दीपावली के तीसरे दिन संपन्न हुआ। रामनगरी के दशरथ महल महन्त बिंदुगाद्याचार्य देवेन्द्र प्रसादाचार्य ने बताया कि श्रीराम, माता सीता और लक्ष्मण 14 वर्ष के लिए वनवास पर गए। उस लंबे अंतराल में राघव सरकार को कंदमूल फल और रूखा-सुखा भोजन ही ग्रहण करने को मिला। 14 वर्ष बीत जाने के बाद लंका विजय कर जब प्रभु श्रीराम अयोध्या वापस आए, भावना से भरे अयोध्या वासियों ने दीप जलाकर उनका स्वागत किया। प्रभु श्रीराम का राजतिलक हुआ।

अगले दिन अयोध्यावासियों ने यह महसूस किया कि उनके सरकार 14 वर्षों तक वन में भटके हैं। कंदमूल खाते रहे हैं। इसलिए प्रत्येक अयोध्यावासी अपने राजा की सेवा में अलग-अलग व्यंजन बनाकर राज दरबार में पहुंच गए। उस समय व्यंजनों की संख्या इतनी हो गई जिनका प्रकार 56 से ज्यादा था। तब से यह परंपरा रही है कि दीपावली पर्व पर प्रभु श्रीराम के राजतिलक के बाद अगले दिन उन्हें 56 प्रकार की व्यंजनों का भोग लगाया जाता है और यही परंपरा अन्नकूट के रूप में अयोध्या सहित पूरे भारत में मनाई जाती है।

श्रीराम आश्रम महन्त जयराम दास ने बताया कि अयोध्या के मंदिरों में अन्नकूट की परंपरा सदियों से चली आ रही है। अयोध्यावासी भी इस परंपरा को मनाते हैं। अपने घर में भी विविध प्रकार के व्यंजनों का भोग भगवान को लगाते हैं। उसके बाद मंदिरों में दर्शन पूजन करते हैं। युगल सरकार को लगाए गए 56 प्रकार के व्यंजनों के भोग का दर्शन कर अपने जीवन को कृतार्थ महसूस करते हैं।

हिन्दुस्थान समाचार/पवन पाण्डेय/राजेश