सरकारी इलाज और सुविधाओं पर भरोसा रख कलाम ने दी कुष्ठ को मात

 








- वर्ष 2012 में ऊंगलियों में सुन्नता से हुई थी कुष्ठ रोग की शुरुआत

- कुष्ठ जनित विकलांगता के लिए प्रतिमाह 3000 मिलती है पेंशन

औरैया, 07 फरवरी (हि.स.)। अयाना ब्लॉक के खानपुर निवासी 40 वर्षीय मजदूर कलाम को दस साल पहले बाएं हाथ में कुष्ठ रोग हुआ था। याक़ूब अपना सारा काम बाएं हाथ से ही करते थे। जो बायां हाथ कलाम की ताकत था, कुष्ठ के कारण दिव्यांगता का शिकार हो गया।

कलाम बताते हैं कि कुष्ठ रोग की गिरफ्त में जब मैं आया तो मेरे बाएं हाथ की ऊंगली सुन्न हो जाती थी। पहले तो निजी क्लीनिक वाले डॉक्टरों से दवाई ली, पर आराम नहीं मिला। फिर एक दोस्त के पिता की सलाह पर सरकारी अस्पताल में दिखाया तो वहां चिकित्सकों ने कुष्ठ की आशंका जताई। जांच के बाद कुष्ठ की पुष्टि हुई और छह महीने का पूरा इलाज हुआ।

कलाम ने बताया कि इलाज के बाद भी ऊंगली टेढ़ी हो गयी, तभी डॉ विशाल अग्निहोत्री ने सर्जरी के लिये द लेप्रोसी मिशन (टीएलएम) नैनी (प्रयागराज) जाने की सलाह दी। वर्ष 2013 में वहां डॉ विशाल के मार्गदर्शन और सहयोग से मेरी उंगली की सर्जरी हुई। अब ऊंगली और हाथ दोनों की ठीक है। कलाम कहते हैं कि इस बीमारी से लड़ने में कुष्ठ विभाग की टीम और मेरे परिवार ने भी हमेशा मेरा साथ दिया। कुष्ठ जनित विकलांगता के तहत मिलने वाली पेंशन के कारण ही मैं आज अपने परिवार का पालन-पोषण कर पा रहा हूं।

जिला कुष्ठरोग सलाहकार डॉ विशाल बताते हैं की ऐसा कोई भी व्यक्ति जिसके शरीर में सुन्न दाग-धब्बे या हाथ-पैर में अकड़न की शिकायत होती है तो उसे कलाम कुष्ठ रोग की जांच कराने को प्रेरित करते हैं। कुछ को अपने साथ जांच कराने को लेकर भी आये हैं। उन्होंने बताया की कुष्ठ जनित विकलांगता के लिए सरकार द्वारा प्रमाण पत्र भी दिए जाते हैं। इसके साथ ही पत्र पाए जाने पर दिव्यांग कल्याण विभाग की ओर से कुष्ठ प्रभावित विकलांगों को पेंशन दी जाती है। इसके तहत जनपद के 93 कुष्ठ प्रभावित विकलांगों को 3000 रुपये प्रति माह की दर से पेंशन भी दी जा रही है। कुष्ठ के कारण विकलांग हुए व्यक्ति अपना प्रमाण पत्र बनवाने के लिए मुख्य चिकित्सा अधिकारी कार्यालय में हर मंगलवार को दिव्यांग शिविर में संपर्क कर सकते हैं। पेंशन के लिए आवेदन करने के लिए जिला मुख्यालय के दिव्यांगजन सशक्तिकरण कमरा नम्बर एक से संपर्क कर सकते हैं।

नियमित उपचार से मिलता है कुष्ठ से छुटकारा

जिला कुष्ठ रोग अधिकारी डॉ.शिशिर पुरी ने बताया कि कुष्ठ रोग में दो प्रकार का उपचार होता है। शरीर में एक से पांच चकत्ते (धब्बे) वाले मरीज को छह माह तक नियमित दवा का सेवन करना होता है। इससे अधिक चकत्ते वाले मरीजों को दूसरी कैटेगिरी में रखा जाता है और इसका उपचार एक साल तक चलता है। उन्होंने बताया कि कुष्ठ रोग बैक्टीरिया के कारण होता है। यह मुख्य रूप से चमड़ी और तंत्रिकाओं को प्रभावित करता है। यह रोग बहुत धीरे-धीरे बढ़ता है। कुष्ठ का उपचार एमडीटी दवाओं से होता है। जो स्वास्थ्य केंद्रों पर नि:शुल्क उपलब्ध रहती है।

कुष्ठ रोग के लक्षण

- शरीर पर सुन्न दाग।

- हथेली या पैर के तलवे में सुन्नता।

- हाथ-पैर, आंख में कमजोरी, विकृति।

- घास जिसमें दर्द न हो।

- चेहरे, शरीर या कान पर गांठें, छाले, घाव।

कुष्ठ की जटिलताएं

- धब्बों में लालिमा, सूजन।

- तंत्रिकाओं में झनझनाहट, सूजन, दर्द।

- जोड़ों में दर्द, सूजन, बुखार।

- आंख में लालमन, रोशनी में कमी, पानी आना।

- हाथ-पैर, आंख की मांसपेशियों में कमजोरी, लकवा।

- पीलिया, पेट दर्द।

हिंदुस्थान समाचार / सुनील