आंगनबाड़ी के नन्हें मुन्ने नौनिहालों के उत्थान के लिए शुरू की गई त्रिदिवसीय कार्यशाला

 


औरैया, 22 नवम्बर (हि. स.)। बुधवार को जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान अजीतमल में 52 सप्ताह के वार्षिक गतिविधि कैलेंडर निर्देशिका पर आधारित आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों के क्षमता संवर्धन हेतु ब्लॉक स्तरीय 3 दिवसीय का कार्यशाला का शुभारंभ किया गया। जिसका का मुख्य उद्देश्य विभाग द्वारा प्रदत्त शैक्षणिक सामग्रियों का प्रयोग एवं उनका आंगनबाड़ी केंद्रों पर क्रियान्वयन करवाना है।

कार्यशाला का शुभारंभ डायट प्राचार्य गंगा सिंह राजपूत, प्रशिक्षण प्रभारी निधि अवस्थी ,डाइट अजीतमल,नोडल एस.आर. . सुनील दत्त राजपूत एवं जिला स्तरीय संदर्भदता अरुण कुमार एवं योगेश कुमार द्वारा संयुक्त रूप से मां सरस्वती के समक्ष मयार्पण एवं दीप प्रज्ज्वलित कर किया गया।

इस अवसर पर डाइट प्राचार्य गंगा सिंह राजपूत एनडी कहा कि शैशवावस्था में बच्चे का मस्तिष्क बहुत ज्यादा तेज होता है सीखने की प्रक्रिया – इस अवस्था में बच्चे को कुछ भी सिखाया जाता है तो वह बहुत तेजी से सीख जाता है।

शैशवावस्था में जिज्ञासा – इस अवस्था में बालक के अंदर किसी के भी बारे में जानने की इच्छा बहुत होती है मानसिक क्रियाओं में तीव्रता – शिशु का मानसिक क्रियाओं का विकास तीव्र गति से होता है जैसे – ध्यान, स्मृति, कल्पना, प्रत्यक्षीकरण, संवेदना, आदि । तीन वर्ष की आयु में शिशु का लगभग सभी मानसिक शक्तियां भली-भांति कार्य करने लगता है।

एसआरजी सुनील दत्त राजपूत ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 का लक्ष्य भारत को एक वैश्विक ज्ञान महाशक्ति बनाना है। स्वतंत्रता के बाद से यह भारत के शिक्षा ढाँचे में तीसरा बड़ा सुधार है। पहले की दो शिक्षा नीतियाँ वर्ष 1968 और 1986 में लाई गई थी।

हिन्दुस्थान समाचार / सुनील /बृजनंदन