आयुर्वेदिक रसोई से हम लड़ सकते हैं हीट बेव से - डॉ. कमल
रसोई में छुपा है डायरिया से लड़ने का खजाना
औरैया, 23 मई (हि. स.)। अधिकतम तापमान 50 डिग्री तक हो सकता है। जब आप घर से बाहर निकलेंगे तो आपका सामना सूरज की तेज किरणों के साथ साथ भयंकर लू भरी तेज हवाओ से हो सकता है। जहां एक ओर सूरज की गर्मी आपकी त्वचा को जलाकर झुलसाने का प्रयास करेगी वहीं दूसरी ओर गर्म तेज लू भरी हवाएं आपके शरीर का जल पदार्थ सुखाकर डिहाइड्रेशन पैदा करेंगे। जिसका परिणाम होगा आपके शरीर की धड़कन बढ़ना शुरू हो जाएगी, चक्कर आना शुरू होकर आप बेहोश भी हो सकते हैं। जुबान सूखने लगेगी।
पेट में दर्द के साथ साथ मूत्र गाढा होने लगेगा और पतले मल त्याग के साथ साथ भयंकर डायरिया भी हो सकता है जिसका शीघ्र ही उपचार न किया गया तो ये प्राण घातक भी हो सकता है। धरती का तापमान लगातार बढ़ता ही जा रहा है। गर्मियों में होने बाली इस मुख्य समस्या को हम आयुर्वेद के आहार विहार से जीत सकते है। तो आइए हम अपनी रसोई का प्रयोग करके आयुर्वेदिक आहार विहार से इससे कैसे बचे।
डॉ. कमल ने बताया इस मौसम में 40 प्रतिशत बीमारियां केवल ओर केवल उच्च तापमान एवं डीहाइड्रेशन की समस्या की बजह से होती है। इसमें बुखार, चक्कर आना, घबराहट, उल्टी, दस्त, अपच, पेट में दर्द आदि शामिल है। कई बार ये समस्या एक साथ न होकर अलग अलग होती है या केवल इनमें से कोई एक समस्या होती है तो कई बार सामान्य मनुष्य के साथ ही साथ चिकित्सक भी व्याधि का निदान करने में भूल कर जाते है। अतः सबसे पहले तो बीमारी के इसी पक्ष को ध्यान में रखकर चिकित्सा प्रारंभ करनी चाहिए।
डॉ. कमल ने कहा अत्यधिक धूप में रहने से ज्यादा पसीना निकलता है जिसके साथ साथ नमक और अन्य साल्ट भी निकल जाते है ऐसे में हम पानी की कमी तो पानी पीकर पूरी कर सकते है पर नमक और मिनरल की कमी को पूरा करने के लिए सादा नमक, या काला नमक या अन्य नमक चीनी के साथ मिला कर प्रयोग करें। ओ आर एस घोल का भी प्रयोग कर सकते हैं। उच्च रक्तचाप वाले रोगी ध्यान दें कि बीमारी की पुष्टि होने पर ही यह प्रयोग करें। कई बार हाइबीपी होने पर भी चक्कर आने लगता है। ऐसे में नमक का प्रयोग करने से बचें। एक बात और ऐसे में अत्यधिक आरओ का पानी प्रयोग करने से बचें। क्योंकि उसमें से मिनरल और साल्ट खत्म हो जाते हैं। ऊपर से जब पेट में बिना मिनरल का पानी जाएगा तो वह शरीर से और साल्ट खींच सकता है। ओर दस्त बढ़ भी सकता है ।
हरी सब्जियां, खीरे , नींबू, संतरा, मौसम्मी, गन्ने के रस का प्रयोग खूब करें। दिन में कुल मिलाकर 5 से 8 लीटर तक पानी का प्रयोग कर सकते हैं।
बीमार होने पर - बच्चे इस बीमारी से सबसे ज्यादा पीड़ित होते है ऐसे में वे न तो दवाई खाते हैं न ओ आर एस या नमक चीनी के घोल को पी पाते हैं ऐसे में आपत्तिकाल समझ कर हम कोई सी भी कोल्ड ड्रिंक जिसमें किसी फल या अन्य नशे का प्रयोग न किया गया हो और जो बच्चों को पसंद हो उसमें नमक मिला कर प्रयोग करें। यहां दो बाते ध्यान देने योग्य है अगर ये प्रयोग कर रहे है तो मात्रा पर्याप्त रखें। दूसरा यहां पर कोल्ड ड्रिंक के प्रयोग को अन्य दशा में प्रयोग करने का प्रचार नहीं है। बल्कि उसका अधिकतम शुगर लेवल बच्चों को तुरंत ऊर्जा दे देगा, और नमक शरीर की कमी पूरी कर देगा। तो बच्चों को कहीं भर्ती करने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी।
दाल एवं सब्जियों में कच्चे आम का प्रयोग करने से डायरिया तुरंत सही हो जाता है।
हरे धनिया पुदीना आम की चटनी का प्रयोग करने से डायरिया में आराम मिलता है।
बेल के जूस का प्रयोग दही के साथ करने से खूनी डायरिया भी तत्काल सही हो जाता है।
आम का पना, या पानक का प्रयोग तत्काल आराम करने वाला होता है।
पतली खिचड़ी, दलिया, दाल में खट्टे फलों का प्रयोग, इमली की चटनी का प्रयोग करने से डायरिया सही हो जाता है। मेथी और जीरे को भूनकर दही के साथ खाने से डायरिया सही हो जाता है। नींबू, नमक, चीनी, पानी जीरा हींग के प्रयोग से बनी शिकंजी का प्रयोग करने से भी लाभ मिलता है। केला, नमक, इमली की चटनी के प्रयोग से डायरिया में आराम मिलता है। भुना जीरा और सौफ़ को पानी के साथ सेवन करने से भी लाभ मिलता है।
धनिया का बीज और छाछ का प्रयोग करने से भी लाभ होता है। शहद और करी पत्ते की चटनी खाने से लाभ होता है।
रोगी या बच्चों को इनमें से जो भी चीज रुचिकर लगे उन खाद्य पदार्थों का सेवन कराए और ठंडी जगहों पर आराम करें अनावश्यक रूप से घर से बाहर न निकले। हालांकि प्रकृति से कोई जीत तो नहीं सकता है लेकिन प्रकृति ने अपने ही संसाधन दिए ताकि उनसे बचा जा सके। इसीलिए अधिक से अधिक औषधीय पौधे लगाकर हम बीमारियों से भी बच सकते है और प्रकृति के तापमान को भी कम कर सकते हैं।
हिन्दुस्थान समाचार / सुनील /बृजनंदन