अटल जी की कविताओं में दिखती है भारतीय दर्शन की झांकी : डॉ कलीम कैसर
गोरखपुर, 24 दिसंबर (हि.स.)। भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेई के जन्म शताब्दी वर्ष के समापन की पूर्व संध्या पर बुधवार को दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय गोरखपुर के सांस्कृतिक प्रकोष्ठ तरंग के द्वारा एक अटल युवा कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया।
जन्म शताब्दी वर्ष में विश्वविद्यालय ने वर्ष पर्यंत हर महीने किसी न किसी विभाग से जोड़कर अटल जी के राजनीतिक, सामाजिक सांस्कृतिक एवं शैक्षिक उपलब्धियां पर केंद्रित कार्यक्रमों का आयोजन किया था । इस अटल युवा कवि सम्मेलन की अध्यक्षता विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो पूनम टंडन ने किया। विश्वप्रसिद्ध शायर डॉ कलीम कैसर जी मुख्य अतिथि के तौर पर उपस्थित थे।
जन्म-शताब्दी वर्ष कार्यक्रम के प्रभारी डॉ आमोद कुमार राय ने बताया कि समापन कार्यक्रम शासन की मंशा के अनुरूप एक वृहद स्तर की प्रतियोगिता आयोजित करनी थी। परीक्षाओं और सर्दियों जैसी विषम परिस्थितियों के बावजूद छात्र और छात्राओं ने इसमें बढ़-चढ़कर अपनी रुचि दिखाई। कुल 25 पंजीकृत प्रतिभागियों में से स्क्रीनिंग की प्रक्रिया के दौरान 8 श्रेष्ठ युवा कवि एवं कवित्रियों का चयन किया गया। उन् 8 प्रतिभागियों के मध्य आज अटल युवा कवि सम्मेलन आयोजित किया गया था ।
तरंग प्रकोष्ठ की निदेशक प्रो ऊषा सिंह जी के संयोजन में संपूर्ण कार्यक्रम संपन्न हुआ।
विश्वविद्यालय की कुलपति प्रोफेसर पूनम टंडन ने कहा कि सांस्कृतिक प्रकोष्ठ तरंग के द्वारा यह बहुत ही बेहतरीन प्रयास किया जा रहा है। ऐसे प्रयासों से बच्चों के अंदर छिपी हुई कौशल और प्रतिभा को सामने लाया जा सकता है । अटल जी का व्यक्तित्व स्वयं इतना विराट है कि उनके जीवन से हमें हर भावी पीढ़ी में कुछ न कुछ सीखने के लिए पर्याप्त सामग्री मिल जाती है।
डॉ कलीम कैंसर जी ने बताया कि वे अटल जी के साथ कई मशाल यात्राओं में शामिल रहे हैं। उन्होंने अपनी सुपरिचित शैली में ग़ज़ल प्रस्तुत की।
इस युवा कवि सम्मेलन में प्रथम स्थान उदय प्रताप सिंह, द्वितीय प्रशांत कुमार राय एवं अंजलि पटेल तथा तृतीय स्थान वंशिका बरनवाल ने प्राप्त किया।
कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि के तौर पर कला संकाय की अधिष्ठाता प्रोफेसर कीर्ति पांडे जी, पूर्व अधिष्ठाता कला प्रो राजवंत राव जी, अधिष्ठाता छात्र कल्याण प्रो अनुभूति दुबे जी, डॉ देवेंद्र पाल, प्रोफेसर विनोद कुमार सिंह जी, प्रोफेसर उमेश त्रिपाठी, प्रो चंद्रशेखर, प्रो जितेंद्र मिश्र, प्रो सुनीता दुबे, प्रो सुषमा पाण्डेय, प्रो अनिल द्विवेदी जी, प्रो सुधीर श्रीवास्तव, डॉ सत्यपाल सिंह जी, डॉ सूर्यकांत त्रिपाठी जी, डॉ तूलिका मिश्रा, डॉ विभाष मिश्र, डॉ मनोज द्विवेदी आदि उपस्थित थे।
कार्यक्रम में निर्णायक मंडल के तौर पर सेवा निवृत आचार्य प्रो राम दरस राय जी एवं अंग्रेजी विभाग के आचार्य प्रो अजय कुमार शुक्ल जी थे।
कार्यक्रम को सकुशल सम्पन्न कराने में डॉ प्रदीप साहनी, डॉ गौरी शंकर जी, डॉ प्रियंका गौतम, डॉ शैलेश सिंह, डॉ गरिमा सिंह, डॉ रजनीश श्रीवास्तव, डॉ प्रदीप राजौरिया आदि ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। कार्यक्रम का सुगम एवं सफल संचालन संस्कृत विभाग के डॉ कुलदीपक शुक्ल ने किया।
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हिन्दुस्थान समाचार / प्रिंस पाण्डेय