चित्रकूट में लाखों श्रद्धालुओं ने मंदाकिनी और कामदगिरि पर्वत पर किया दीपदान

 


चित्रकूट, 12 नवम्बर(हि.स.)। भगवान श्रीराम की तपोभूमि चित्रकूट में दीपावली पर्व के उपलक्ष्य पर देशभर से आये लाखों श्रद्धालुओं ने रामघाट में आस्था की डुबकी लगाने के बाद माता अनुसुइया के तपोबल से प्रकट हुई पतित पावनी मां मंदाकिनी गंगा और कामदगिरि पर्वत पर दीपदान किया। इसके बाद मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए भगवान श्रीकामतानाथ के दर्शन-पूजन कर कामदगिरि पर्वत की पंचकोसीय परिक्रमा लगाई। वहीं हजारों श्रद्धालुओं ने मनोकामनाएं पूर्ण होने पर भगवान कामतानाथ की दंडवती परिक्रमा भी लगाई।

दीपदान मेले में 30 से 35 लाख श्रद्धालुओं के चित्रकूट आने की सम्भावनाओं के मद्देनजर उत्तर प्रदेश-मध्य प्रदेश शासन-प्रशासन द्वारा मेला परिक्षेत्र की सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किये गये हैं। वहीं श्रद्धालुओं ने दीपदान में गोबर और मिट्टी के दीयों का प्रयोग कर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के आत्मनिर्भर भारत के संकल्प को भी साकार स्वदेशी को बढ़वा दिया।

धर्म नगरी में चित्रकूट में आयोजित पांच दिवसीय दीपावली मेले पर बीती देर रात से ही श्रद्धालुओं की भारी भीड़ मंदाकिनी नदी के रामघाट तट पर पहुंचना शुरू हो गई थी। समूची धर्म नगरी भगवान श्री कामतानाथ जी एवं भगवान श्रीराम के जयकारों से गुंजायमान हो रही हैं। दीपदान से मंदाकिनी नदी रंग-बिरंगे दीयों की रोशनी से जगमग हो रही है। वहीं इस बार श्रद्धालुओं द्वारा दीपदान में गोबर और मिट्टी के दीयों का प्रयोग कर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आत्मनिर्भर भारत बनाने के संकल्प को साकार किया गया। वहीं यूपी-एमपी शासन-प्रशासन द्वारा मंदाकिनी के रामघाट तट के दोनों ओर विशेष सजावट की गई है। बीती रात से ही आकर्षक रंगीन विद्युत झालरों से पूरा रामघाट टिमटिमा रहा है।

धर्म नगरी में उमड़े श्रद्धालुओं द्वारा मंदाकिनी में स्नान के बाद गरीबों का अन्न और द्रव्यदान भी किया। देश भर से आये लाखों श्रद्धालु कामदगिरी की पंचकोशीय परिक्रमा लगाने के बाद धर्मनगरी के हनुमानधारा, जानकीकुंड, सती अनुसइया आश्रम, गुप्त गोदावरी, भरतकूप आदि स्थानों के भी दर्शन कर रहे हैं।

श्री कामद्गिरि प्रमुख द्वार के महंत मदन गोपाल दास महाराज,भरत मंदिर के महंत दिव्य जीवन दास रामायणी कुटी के महंत रामहृदय दास महाराज और भागवताचार्य आचार्य नवलेश महाराज बताते हैं कि धर्म नगरी चित्रकूट आदिकाल से साधू-संतों की तपोभूमि रही है। वनवास काल में भगवान श्रीराम के साढ़े 11 वर्ष तपस्या करने के बाद से यह पावन भूमि समूचे विश्व के करोड़ों हिंदुओं की श्रद्धा और आस्था का केन्द्र बनी हुई है। उन्होंने बताया कि लंका विजय के बाद अयोध्या लौटते समय जब प्रभु श्रीराम चित्रकूट में रूके थे। तब उन्होंने माता सीता और अनुज लखन के साथ मंदाकिनी में दीपदान किया था। इसी समय सप्त ऋषियों एवं धर्म नगरी के साधू-संतों एवं असंख्य दीप जलाकर मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम की आरती की थी। अमावस्या के दिन हुए इस महा दीपदान से चित्रकूट पूर्णिमा की भांति प्रकाशमान हो गई थी। त्रेतायुग में चित्रकूट से शुरू हुई दीपदान परम्परा आज भी पूरी भव्यता के साथ जारी है।

उल्लेखनीय है कि यह मेला पूरे पांच दिनों तक चलेगा। धनतेरस, नर्क चतुदर्शी, दीपदान अमावस्या मेला, प्रतिपदा व भईयादूज के बाद ही समाप्त होगा। दीपदान मेले को सकुशल सम्पन्न कराने में जुटे उत्तर प्रदेश के चित्रकूट जिले के डीएम अभिषेक आनंद और एसपी वृंदा शुक्ला के अलावा मध्य प्रदेश के सतना जिले के पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों द्वारा स्वयं मेला परिक्षेत्र का भ्रमण कर सुरक्षा व्यवस्था का जायजा लेते नजर आ रहे हैं।

इस बार उत्तर प्रदेश श्री चित्रकूट तीर्थ विकास परिषद के द्वारा प्रभु श्रीराम की तपोभूमि चित्रकूट की विशेष सजावट करने के साथ-साथ किया जा धार्मिक और सांस्कृतिक कार्यक्रम देश भर से आने वाले श्रद्धालुओं के आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। जिलाधिकारी अभिषेक आनंद के नेतृत्व में परिषद के कार्यपालक अधिकारी पंकज वर्मा पूरी टीम के साथ आयोजन का भव्य और दिव्य बनाने में रातो-दिन जुटे रहे।

हिन्दुस्थान समाचार/रतन/राजेश