'6 दिसंबर' पर अरुण पाठक का फायरब्रांड बयान, कहा - देश में अभी दो कलंक और बचे हैं...
वाराणसी। बाबरी विध्वंस की तारीख पर अखिल भारत हिन्दू महासभा के युवा राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं विश्व हिन्दू सेना के प्रमुख अरुण पाठक ने बड़ा बयान देते हुए कहा कि 6 दिसंबर का दिन भारतीय जनमानस के माथे से “एक बड़ा कलंक” मिटने का प्रतीक है। अपने फेसबुक अकाउंट से उन्होंने कहा है कि जिस ढांचे को वर्षों तक बाबरी मस्जिद कहा जाता रहा, उसे सनातन धर्म के वीरों, शिवसैनिकों और कारसेवकों ने 1992 में गिराकर इतिहास बदल दिया।
उन्होंने कहा कि यह केवल एक ढांचे का ध्वस्त होना नहीं था, बल्कि सनातन धर्म की आत्मा पर किए गए सदियों पुराने प्रहार का प्रतिशोध और धर्म-स्मृति की पुनर्स्थापना का क्षण था।
“सनातन सहिष्णु है, लेकिन कायर नहीं” : अरुण पाठक
अरुण पाठक ने कहा कि सनातन धर्म के लोग सहिष्णु ज़रूर होते हैं, परंतु कायर कभी नहीं। उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि “पृथ्वीराज चौहान ने मोहम्मद गोरी को छोड़ा क्योंकि उनका मन सहृदय था। दो आँखें निकालने के बाद भी उन्होंने गोरी को जो सज़ा दी, वह बताती है कि सनातन धर्म न्याय करता है, प्रतिशोध नहीं।”
प्रधानमंत्री और सुप्रीम कोर्ट के प्रति आभार
अरुण पाठक ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और सुप्रीम कोर्ट के प्रति धन्यवाद व्यक्त करते हुए कहा कि “इनके हस्तक्षेप से करोड़ों सनातनियों को न्याय मिला और अयोध्या में भव्य राम मंदिर का निर्माण हुआ। यह केवल धार्मिक आस्था की नहीं, बल्कि राष्ट्रीय गौरव की पुनर्स्थापना का क्षण है।”
“अब दो कलंक और बचे हैं… उनका नंबर भी आएगा”
अरुण पाठक ने अपने संबोधन में दावा किया कि देश में अब भी “दो बड़े कलंक” शेष हैं। हालांकि उन्होंने उनके नाम नहीं लिए, लेकिन कहा कि “जैसे 1992 में सनातनियों ने कंधे से कंधा मिलाकर इतिहास लिखा था, वैसे ही आगे भी पूरा सनातन समाज एकजुट होकर खड़ा होगा। जल्द ही बाकी कलंक भी मिटेंगे।” अरुण पाठक ने कहा कि राम मंदिर केवल एक धार्मिक स्थल नहीं, बल्कि “सनातन विश्वास की विजय” और “राष्ट्रीय स्वाभिमान” का प्रतीक है।