पुरातत्व विभाग के अधिकारियों ने चंदेल कालीन दुर्ग का किया सर्वे

 
पुरातत्व विभाग के अधिकारियों ने चंदेल कालीन दुर्ग का किया सर्वे


जालौन, अप्रैल (हि.स.)। जालौन की

ऐतिहासिक नगरी कालपी की आन बान शान के लिए यमुना नदी के तट पर स्थित विख्यात प्राचीन चंदेल कालीन दुर्ग के संरक्षण तथा सुंदरीकरण के लिए विधायक विनोद चतुर्वेदी के द्वारा शासन से मांग उठाई गई है। गुरुवार को पुरातत्व विभाग के क्षेत्रीय अधिकारी डॉ. मनोज कुमार के नेतृत्व में विभागीय अधिकारियों के द्वारा स्थलीय सर्वे किया गया।

उल्लेखनीय हो कि कालपी के यमुना नदी के किनारे चंदेल कालीन दुर्ग बना हुआ है जो अपनी वीरगाथाओं के लिए मशहूर है। प्रथम स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों की कर्मस्थली एवं मंत्रणा स्थल के रूप में जाना जाता है। यमुना नदी की कटान से प्राचीन दुर्ग का अस्तित्व खतरे में आ गया है। इसी को दृष्टिगत रखते हुए विधायक विनोद चतुर्वेदी के द्वारा मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, पर्यटन मंत्री जयवीर सिंह, उत्तर प्रदेश राज्य पुरातत्व विभाग के निदेशक रेनू द्विवेदी को पत्र लिखकर किले को संरक्षण देने तथा सुंदर बनाने के लिए मांग उठाई थी। विभाग की निदेशक रेणु द्विवेदी के निर्देशन पर राज्य पुरातत्व विभाग के क्षेत्रीय अधिकारी डॉ. मनोज कुमार, नरेश, मुकेश कुमार की टीम ने चंदेल कालीन दुर्ग का घूम-घूमकर सर्वे किया गया तथा जर्जर हो रहे किले को जीर्णोद्धार करने की रिपोर्ट तैयार करके शासन को भेजने का निर्णय लिया है। विधायक कार्यालय में प्रतिनिधि मनोज चतुर्वेदी की मौजूदगी में प्राचीन किले के बारे में जानकारी देते हुए क्षेत्रीय अधिकारी डॉ. मनोज कुमार ने बताया कि नदी की बार-बार बाढ़ आने की वजह से मिट्टी का कटाव होने से किले का अस्तित्व खतरे में पड़ गया है, इसलिए उसमें नदी के किनारे मजबूत एवं पक्की रिटर्निंग बाल का निर्माण होना जरूरी है। इसी प्रकार किले के बीच केंद्र का गुंबद क्रेक हो गया है जिससे कमरों में पानी भर जाता है। इसी प्रकार आसपास जो वृक्ष लगे हुए हैं उसकी जड़ से किले को नुकसान पहुंच रहा है इसलिए प्राकृतिक स्वरूप को बहाल किया जाएगा। उन्होंने बताया कि वर्तमान समय में वन विभाग के द्वारा संरक्षित किला गेस्ट हाउस के रूप में प्रयोग किया जा रहा है। वन विभाग के द्वारा किले में जो पेंट किया गया है वह वॅरोनिक हो गया है उसे खरोच कर मूल स्वरूप में प्राचीन किले की रंगत को वापस लौटाया जाएगा। क्षेत्रीय अधिकारी के मुताबिक सर्वे रिपोर्ट शासन को भेजी जाएगी। इंजीनियरों के द्वारा एस्टीमेट तैयार करके बजट की मांग की जाएगी, बजट उपलब्ध होते ही प्राचीन किले के जीर्णोद्धार की कार्य योजना के कार्य शुरू हो जाएंगे।

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हिन्दुस्थान समाचार / विशाल कुमार वर्मा