ड्रोन की परिवर्तनकारी क्षमता बढ़ाते हुए कृषि उपज में हो सकती है वृद्धि : प्रो. बुशरा अतीक

 


कानपुर, 19 नवम्बर (हि.स.)। ड्रोन की परिवर्तनकारी क्षमता, जो संसाधनों के उपयोग को अनुकूलित करने और फसल के स्वास्थ्य और उपज में सुधार करके सटीक कृषि को बढ़ा सकता है। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान कानपुर में अफ्रीकी-एशियाई ग्रामीण विकास संगठन (एएआरडीओ) के सहयोग से दस दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम के उदघाटन समारोह को बतौर मुख्य अतिथि सम्बोधित करते हुए आईआईटी कानपुर के डीन ऑफ इंटरनेशनल रिलेशन प्रोफेसर बुशरा अतीक ने कही।

उन्होंने आईआईटी कानपुर की सक्रिय अंतरराष्ट्रीय भागीदारी पर प्रकाश डाला, जिसमें दिखाया गया कि कैसे इस तरह के सहयोगी उपक्रम वैश्विक कृषि चुनौतियों के लिए उन्नत तकनीकी समाधान प्रस्तुत करते हैं। इस मौके पर प्रो. बिशाख भट्टाचार्य ने कहा कि कृषि नवाचारों को बढ़ावा देने में आईआईटी कानपुर की पहल की सराहनीय है, जैसे कि टिकाऊ खेती के तरीकों में ड्रोन का उपयोग। उन्होंने आरयूटीएजी पहल के माध्यम से इस क्षेत्र में सुलभ ज्ञान को आगे बढ़ाने में प्रोफेसर जे रामकुमार और उनकी टीम की भूमिका अति सराहनीय है। जिसने आईआईटी कानपुर को कृषि प्रौद्योगिकी विकास में अग्रणी के रूप में स्थापित किया।

इसी क्रम में प्रो. जे रामकुमार और डॉ. अमनदीप सिंह ओबेरॉय ने कहा कि संरचित यह कार्यक्रम माइक्रो एवं नैनो मशीनिंग, एडिटिव मैन्युफैक्चरिंग और सस्टेनेबल इंजीनियरिंग में उनकी विशेषज्ञता का लाभ प्रदान करेगा । इन आठ दिनों में, प्रतिभागियों को कृषि ड्रोन अनुप्रयोगों के विभिन्न पहलुओं में प्रशिक्षित किया जाएगा, जिसमें ड्रोन डिजाइन और निर्माण से लेकर विशेष उड़ान तकनीक और समस्या निवारण तक शामिल है।

यह व्यापक पाठ्यक्रम कृषि ड्रोन के उपयोग के प्रमुख क्षेत्रों को कवर करेगा, जिसमें सटीक फसल निगरानी, मृदा स्वास्थ्य मूल्यांकन, कीट नियंत्रण और स्मार्ट सिंचाई शामिल है। प्रतिभागियों को कृषि निगरानी के लिए ड्रोन-आधारित डेटा संग्रह और सेंसर एकीकरण में व्यावहारिक अंतर्दृष्टि प्राप्त होगी, साथ ही उड़ान पथ योजना, हवाई मानचित्रण और रिमोट सेंसिंग और स्वचालित सिंचाई प्रणालियों में ड्रोन के उपयोग पर व्यावहारिक सत्र भी होंगे।

आईआईटी कानपुर की मीडिया प्रभारी रुचा खेडेकर ने मंगलवार को बताया कि भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान कानपुर ने अफ्रीकी-एशियाई ग्रामीण विकास संगठन (एएआरडीओ) के सहयोग से 13 से 23 नवंबर तक चलने वाले “एग्रीकल्चर प्रैक्टिस यूजिंग ड्रोन: प्लान, डिजाइन, बिल्ड एण्ड फ्लाई” शीर्षक से एक अंतरराष्ट्रीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का उद्घाटन हुआ। विभिन्न अफ्रीकी और एशियाई देशों के कुल 13 प्रतिभागी इस कार्यक्रम में शामिल हुए हैं, जो वैश्विक ज्ञान-साझाकरण और कृषि नवाचार के लिए आईआईटी कानपुर के समर्पण को दर्शाता है।

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हिन्दुस्थान समाचार / रामबहादुर पाल