60 साल के बुजुर्ग भी बच्चों सी जिद वाली बोलते हैं बोली, ''बाबा नहीं आएंगे तो दीया नहीं जलाएंगे''

 




गोरखपुर, 09 नवम्बर (हि.स.)। दीपावली का पर्व आते ही वनटांगियों के महराज जी यानी यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का जिक्र आम हो जाता है। वनटांगियों का योगी प्रेम उनकी नाराजगी में दिखने लगती है। जब भी यह जिक्र छिड़ता है कि शायद योगी आदित्यनाथ अपनी व्यस्तताओं की वजह से इस वर्ष वनटांगियों के बीच दीपावली का पर्व न मना पाएं तो उनकी आँखों में प्रेम भरा गुस्सा परिलक्षित होता ही है, बोली भी बच्चों वाली जिद के समान फूटने लगती है। वे अनायास ही कहने लगते हैं कि ''बाबा नहीं आएंगे तो दीया नहीं जलाएंगे।''

यह नजारा गोरखपुर के कुसम्ही जंगल स्थित वनटांगिया गांव जंगल तिकोनिया नम्बर तीन में देखने-सुनने को अक्सर मिलता है। यह एक ऐसा गांव है जहां दीपावली का हर दीपक योगी बाबा के नाम से ही जलता है। साल दर साल यह परंपरा ऐसी मजबूत हो गई है कि साठ साल के बुजुर्ग (महिला-पुरुष) भी बच्चों सी जिद करते हैं, ''बाबा नहीं आएंगे तो दीया नहीं जलाएंगे।'' इनकी जिद, विश्वास और समर्पण को योगी आदित्यनाथ भी शायद उतना ही महत्व देते आ रहे हैं। अपनी तमाम व्यस्तताओं के बाद भी वे वनटांगिया गांव पहुँचते हैं और उनके साथ उल्लासपूर्वक दीपोत्सव का महापर्व मानते हैं।

2009 में शुरू की वनटांगियों के साथ दीपोत्सव की परंपरा

वनटांगियों को सामान्य नागरिक जैसा हक दिलाने की लड़ाई शुरू करने वाले योगी ने वर्ष 2009 से वनटांगिया समुदाय के साथ दीपोत्सव मनाने की परंपरा शुरू की तो पहली बार इस समुदाय को जंगल से इतर भी जीवन के रंगों का अहसास हुआ। फिर तो यह सिलसिला बन पड़ा। मुख्यमंत्री बनने के बाद भी योगी इस परंपरा का निर्वाह करना नहीं भूलते हैं। इस दौरान बच्चों को मिठाई, कापी-किताब और आतिशबाजी का उपहार देकर पढ़ने को प्रेरित करते हैं तो सभी बस्ती वालों को तमाम सौगात देते हैं।

छह दीपावली में मिटा दी सारी कसक

हेरिटेज फाउंडेशन की संरक्षिका साहित्यकार डॉ. अनिता अग्रवाल कहती हैं कि मुख्यमंत्री बनने के बाद योगी आदित्यनाथ ने महज छह दीपावली में वनटांगिया समुदाय की सौ साल से अधिक की कसक मिटा दी है। लोकसभा में वनटांगिया अधिकारों के लिए लड़कर 2010 में अपने स्थान पर बने रहने का अधिकार पत्र दिलाने वाले योगी ने सीएम बनने के बाद अपने कार्यकाल के पहले ही साल वनटांगिया गांवों को राजस्व ग्राम का दर्जा दे दिया। राजस्व ग्राम घोषित होते ही ये वनग्राम हर उस सुविधा के हकदार हो गए जो सामान्य नागरिक को मिलती है। अपने कार्यकाल में उन्होंने वनटांगिया गांवों को आवास, शौचालय, सड़क, बिजली, पानी, स्कूल, आंगनबाड़ी केंद्र और आरओ वाटर मशीन जैसी सुविधाओं से आच्छादित करवाया।

हिन्दुस्थान समाचार/डॉ. आमोदकांत /सियाराम