युवा अपने ज्ञान व क्षमताओं का विस्तार करते हुए सामाजिक विकास में योगदान दें: प्रो. अजय सूद

 






-बीएचयू के 103वें दीक्षांत समारोह में 28 मेधावी विद्यार्थियों में 32 स्वर्ण पदक वितरित

वाराणसी, 16 दिसम्बर (हि.स.)। भारत सरकार के प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार प्रो. अजय कुमार सूद ने कहा कि भारत को इस बात का एहसास है कि उसे डिजिटल प्रौद्योगिकी एवं समकालीन महत्व के क्षेत्रों में अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप स्तर बनाना है। इसी के मद्देनज़र भारत सरकार ने साइबर फिज़िकल सिस्टम, सेमिकंडक्टर्स एवं कृत्रिम बौद्धिकता के लिए 9 राष्ट्रीय मिशन आरंभ किये हैं। इस क्रम में अनुसंधान नेशनल रिसर्च फाउंडेशन की पहल महत्वपूर्ण है। प्रो.सूद शनिवार को काशी हिन्दू विश्वविद्यालय (बीएचयू) के 103वें दीक्षान्त समारोह को बतौर मुख्य अतिथि सम्बोधित कर रहे थे। परिसर स्थित स्वतंत्रता भवन सभागार में आयोजित समारोह में प्रो. सूद ने 28 मेधावी विद्यार्थियों में 32 स्वर्ण पदक वितरित किया।

इस अवसर पर उन्होंने युवाओं से देश को और सशक्त करने के लिए शिक्षा, विज्ञान, प्रौद्योगिकी व नवोन्मेष के बीच गहरे आपसी जुड़ाव का आह्वान किया। उन्होंने क्रमिक विकास के बजाय परिवर्तनकारी व मूलभूत रूप से प्रगति के लिए आगे बढ़ने की आवश्यकता पर बल देते हुए कहा कि युवा अपने ज्ञान व क्षमताओं का विस्तार करते हुए सामाजिक विकास में योगदान दें। काशी हिन्दू विश्वविद्यालय को उभरती प्रौद्योगिकियों के संदर्भ में आगे बढ़कर अपनी भूमिका निभानी चाहिए।

प्रो. सूद ने कहा कि शिक्षा, विज्ञान, प्रौद्योगिकी एवं नवोन्मेष, तथा समग्र समाज का योगदान, एक सशक्त राष्ट्र के लिए चार महत्वपूर्ण स्तंभ हैं। उन्होंने लंबे समय से इन स्तंभों के अलग अलग होकर कार्य करने की ओर इंगित करते हुए कहा कि अब इस भेद को ख़त्म करने का समय आ गया है तथा इन चारों के बीच गहरे मेल के साथ कार्य करने की ज़रूरत है। उन्होंने कहा कि सभी विश्वविद्यालयों का उद्देश्य होना चाहिए कि वे शिक्षण, अधिगम और अनुसंधान में नवाचार को बढ़ावा दें और नए विचारों, नई प्रौद्योगिकियों और नई दुनिया के विचारों को प्रोत्साहित करें। उन्होंने कहा कि शिक्षा जगत, उद्योग और व्यवसाय की आवश्यकताओं के अनुरूप क्षेत्रीय, राष्ट्रीय और वैश्विक आवश्यकताओं के प्रति सचेत एक सजग कार्यबल तैयार करने की दिशा में राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 एक कदम है। प्रो. सूद ने स्वास्थ्य, उद्यमशीलता, स्टार्ट अप, आदि विभिन्न क्षेत्रों में भारत द्वारा की जा रही प्रगति की चर्चा की और विश्वास जताया कि आज विश्वविद्यालय से उपाधि प्राप्त कर रहे विद्यार्थी नवाचार को आगे बढ़ाने की ओर महत्वपूर्ण योगदान देंगे।

समारोह में बीएचयू कुलपति प्रो. सुधीर कुमार जैन ने कहा कि काशी हिन्दू विश्वविद्यालय को अपनी शैक्षणिक विरासत तथा पारंपरिक ज्ञान व्यवस्था के आधुनिक शिक्षा के साथ मेल के लिए जाना जाता है। विश्वविद्यालय के मूल्य सामाजिक ज़िम्मेदारियों, समग्रता, तथा शिक्षा, अनुसंधान, व सामुदायिक सक्रियता के ज़रिये देश के विकास में योगदान हेतु प्रतिबद्धता को रेखांकित करते हैं। कुलपति प्रो. जैन ने कहा कि विश्वविद्यालय में शैक्षणिक योग्यता प्राप्त करके तथा ईमानदारी, करुणा तथा सत्यनिष्ठा जैसे मूल्य विकसित करने के पश्चात आज विद्यार्थी जीवन के एक नए दौर में प्रवेश कर रहे हैं, जहां वे नई शुरूआत कर सकेंगे। उन्होंने विद्यार्थियों का आह्वान किया कि वे उत्कृष्टता के प्रति उत्साह व वंचितों के प्रति करुणा के साथ आगे बढ़ें व अपने माता पिता एवं काशी हिन्दू विश्वविद्यालय को गौरवान्वित करें।

समारोह की अध्यक्षता कुलाधिपति न्यायमूर्ति गिरिधर मालवीय ने की। समारोह में कुल 14680 उपाधियां छात्रों में वितरित की गई। दीक्षान्त समारोह के शुरुआत में प्रो. पतंजलि मिश्र ने मंगलाचरण, प्रो. पद्मिनी रविन्द्रनाथ ने संचालन, कुलसचिव प्रो. अरुण कुमार सिंह ने धन्यवाद ज्ञापन किया।

हिन्दुस्थान समाचार/श्रीधर/आकाश