अटला देवी माता मंदिर मामले में प्रतिवादी को नोटिस जारी करने का आदेश
मस्जिद में मंदिर के अवशेषों को किया जा रहा हैं नष्ट, पूजाअर्चना का मिले अधिकार
जौनपुर,03 जुलाई (हि. स.)।अपर सिविल जज ( जू. डी.) शहर की अदालत में नगर स्थित अटाला मस्जिद को प्राचीन अटला देवी मंदिर बताते हुए स्वराज वाहिनी संगठन के प्रदेश अध्यक्ष संतोष कुमार मिश्रा ने पीस कमेटी जामा मस्जिद के खिलाफ वाद दाखिल किया था। वादी के अधिवक्ता ने बहस के दौरान स्थायी निषेधाज्ञा की कोर्ट से मांग की थी। बुधवार को कोर्ट ने आदेश दिया कि प्रतिवादी पक्ष को सुनवाई का अवसर दिए बिना एक पक्षीय निषेधाज्ञा निर्गत किए जाने का कोई आधार प्रतीत नहीं होता है इसलिए कोर्ट ने प्रतिवादी को नोटिस जारी करने का आदेश दिया। वादी को नोटिस की पैरवी करने का आदेश कोर्ट ने दिया। कोर्ट ने अपने आदेश में यह भी लिखा कि यदि वादी के पास प्रतिवादी का व्हाट्सएप या ईमेल आईडी उपलब्ध हो तो उसे उपलब्ध करायें ताकि न्यायालय द्वारा इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से भी नोटिस आदि प्रेषित की जा सके । मुकदमे में वक्फ अटाला मस्जिद जरिए सेक्रेटरी को भी विपक्षी पक्षकार बनाया गया है।अगली सुनवाई के लिए कोर्ट ने 16 जुलाई तिथि नियत की गई।
स्वराज वाहिनी के प्रदेश अध्यक्ष संतोष कुमार मिश्रा, निवासी भदखिन मड़ियाहूं ने पीस कमेटी जामा मस्जिद (अटाला मस्जिद) मोहल्ला सिपाह के खिलाफ वाद दायर किया कि नगर में 13वीं शताब्दी में तत्कालीन राजा विजय चंद्र जी ने अटला देवी की मूर्ति स्थापित कर मंदिर बनवाया था जिसमें सनातन धर्म के लोग पूजा कीर्तन करते थे। 13वीं शताब्दी में मुगल तुर्क लुटेरे भारत पर आक्रमण करते रहे जिसमें फिरोज शाह तुगलक ने जौनपुर पर आक्रमण किया। हिंदुओं का कत्ल किया और जौनपुर पर अपना आधिपत्य स्थापित कर लिया। उसने अटला देवी मंदिर की भव्यता देखकर उसमें तोड़फोड़ कराया। हिंदू धर्मावलंबी के प्रबल विरोध के कारण पूरी तरह तोड़ नहीं पाया और मंदिर के खंभों पर ही मस्जिद का आकार दिया जो वर्तमान में अटाला मस्जिद है जहां इस्लाम धर्म के लोग नमाज इत्यादि करते हैं। सनातन धर्म के व्यक्तियों का वहां प्रवेश प्रतिबंधित कर दिया गया। 1408 में शर्की शासक इब्राहिम शाह ने पुनः मंदिरों को मस्जिद का मुकम्मल आकार दिया। अटाला मस्जिद अटला देवी का मंदिर है,यह तथ्य इतिहासकार अबुल फजल की रचना आईने अकबरी एवं रचनाओं में पूर्णतया स्पष्ट है मंदिर के खंभों इत्यादि पर आज भी हिंदू स्थापत्य एवं वास्तुकला तथा हिंदू रीति रिवाज के चिन्ह एवं अवशेष मौजूद है।
सनातन धर्मावलंबियों को वहां पूजन-कीर्तन करने का अधिकार है।हाल ही में विपक्षी तथाकथित मस्जिद को चारों तरफ हरे रंग के टाट पट्टी से ढककर अंदर तोड़फोड़ करके मंदिर के पुराने अवशेष व पहचान चिह्न को खोद कर और रंग पेंट करके मिटाने व हटाने का प्रयास कर रहे हैं। जिला प्रशासन को 4 अक्टूबर 2023 को शिकायती प्रार्थना पत्र दिया गया लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। प्रतिवादी बराबर धमकी दे रहे हैं और तोड़फोड़ का कार्य जारी है। वादी ने न्यायालय से मांग किया कि सनातन धर्मावलंबियों को वहां पूजा-अर्चना करने का अधिकार दिया जाय। इस्लाम धर्म के व्यक्तियों का वहां से कोई वास्ता सरोकार नहीं है। प्रतिवादी को इस मंदिर परिसर में प्रवेश से पूर्ण रूप से बेदखल किया जाए। कोर्ट से प्रश्नगत मंदिर परिसर को सुरक्षित किए जाने की मांग की गई। वादी ने कोर्ट से यह भी मांग किया है कि प्रतिवादी को आदेश दिया जाए कि वह अथवा उसके एजेंट परिसर में कोई भी तोड़फोड़ या किसी भी तरह का परिवर्तन न करें न उसमें वादीगण एवं स्थानीय श्रद्धालुओं को पूजा-अर्चना में किसी भी प्रकार का व्यवधान उत्पन्न करें।
हिन्दुस्थान समाचार/विश्व प्रकाश/सियाराम