वाराणसी के होनहार ने ठीक किये कोरोना काल में ट्रामा सेंटर और कैंसर हॉस्पिटल के बंद पड़े वेंटिलेटर 

एक ओर देश में आई आपदा के वक्त कई मुनाफाखोर और कालाबाजारी अवसर के तौर पर फायदा उठा रहें हैं। तो ऐसे भी युवाओं का कमी नहीं है जो निस्वार्थ अपनी पढ़ाई और स्कील के बदौलत लोगों की जिंदगी बचाने में लगे है। उन्हीं लोगों में से एक हैं वाराणसी के रहने वाले नित्यानंद मौर्या। नित्यनंद ने IIT धनबाद से  इलेक्ट्रानिक्स और कम्यूनिकशन इंजीनियरिंग में बीटेक किया है और इस समय बीएचयू ट्रामा सेंटर के खराब पड़े वेंटिलेटर्स को सही करने में लगे हुए हैं। 
 

वाराणसी। एक ओर देश में आई आपदा के वक्त कई मुनाफाखोर और कालाबाजारी अवसर के तौर पर फायदा उठा रहें हैं। तो ऐसे भी युवाओं का कमी नहीं है जो निस्वार्थ अपनी पढ़ाई और स्कील के बदौलत लोगों की जिंदगी बचाने में लगे है। उन्हीं लोगों में से एक हैं वाराणसी के रहने वाले नित्यानंद मौर्या। नित्यनंद ने IIT धनबाद से  इलेक्ट्रानिक्स और कम्यूनिकशन इंजीनियरिंग में बीटेक किया है और इस समय बीएचयू ट्रामा सेंटर के खराब पड़े वेंटिलेटर्स को सही करने में लगे हुए हैं। 

वाराणसी के युवा कोरोना महामारी जैसे आपदा के वक्त पूरे देश के लिए एक प्रेरणा बनकर उभरे हैं, जिन्होंने अपनी पढ़ाई और स्कील के बदौलत ऐसी मशीनों को दुरूस्त कर दिखाया है जिसकी जरूरत चारो ओर हैं।  उन्ही में से एक हैं IIT धनबाद से  इलेक्ट्रानिक्स और कम्यूनिकशन इंजीनियरिंग की पढ़ाई किए हुए वाराणसी के युवा नित्यानंद और उनके साथी। इन दोनों ने मिलकर 6 घंटों में BHU ट्रामा सेंटर के एक दर्जन खराब पड़े वेंटिलेटर को ठीक कर दिया। 

इस सम्बन्ध में नित्यानंद ने बताया कि अखबारों के माध्यम से उन्हें सूचना मिली कि वेंटिलेटर ख़राब हैं इसलिए दिक्कत है और मरीज़ों को एडमिट नहीं किया जा रहा है। नित्यानद ने बताया कि इसपर स्वयं  वाराणसी के जिलाधिकारी से फोन करके मरम्मत की बात रखी,  जिसकी अनुमति मिलने के बाद अपने साथी दिव्यांशु के साथ मिलकर मात्र 6 घंटों में वेंटिलेटर को ठीक कर दिया। 

इसके अलावा नित्यानंद को वाराणसी के डीएम ने वाराणसी के लहरतारा स्थित कैंसर अस्पताल के खराब पड़े वेंटीलेटर को ठीक करने की जिम्मेदारी दी थी और नित्यानंद उनके साथी ने यहा भी 6 में से 2 वेंटिलेटर की मरम्मत करके ठीक कर डाला।वेंटिलेटर को ठीक करना इतना आसान नहीं था। उन्हे खोलकर फिर से असेंबल करना पड़ा। कुछ उपकरण की जरूरत भी पड़ी उन्होंने खुद ही इसकी व्यवस्था कर दी। 

नित्यानंद बताते है कि वेंटिलेटर ठीक करना इतना आसान नहीं था, क्योंकि ज्यादातर पार्ट्स लाॅकडाउन के चलते उपलब्ध नहीं थें तो इसलिए उन्होंने एक दूसरे वेंटिलेटर के पार्ट्स को बदलकर काम किया और ज्यादातर वेंटिलेटर के आक्सीजन सेंसर बदले और उनको ठीक किया। वे बताते हैं कि इस आपदा की घड़ी में सभी को अपनी क्षमता के अनुसार आगे आकर लोगों की मदद करनी चाहिए समाज के लिए।

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