जानिए कौन थे सांता क्लॉज? सच में यह कोई संत थे, या फिर केवल कहानियों और कल्पनाओं में ही हैं सैंटा? क्या है उनसे जुड़ी कहानी
इन दिनों हर जगह क्रिसमस डे की रौनक है। क्रिसमस को पूरी दुनिया में बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है। इसे 'बड़ा दिन' के भी नाम से जाना जाता है। क्रिसमस का त्योहार हर साल 25 दिसंबर को मनाया जाता है। कहा जाता है कि इस दिन प्रभु ईसा मसीह का जन्म हुआ था। क्रिसमस नजदीक आते ही हर तरफ इसका उल्लास रहता है। खासकर क्रिसमस को लेकर बच्चों में एक अलग तरह का ही उत्साह देखने को मिलता है। बच्चे बड़ी ही बेसब्री से क्रिसमस का इंतजार करते है, क्योकिं वे सोचते है इस दिन सांता क्लॉज आएगा और उनकी विश पूरी करेगा, या फिर उन्हें अपने झोले से निकाल कोई गिफ्ट देकर जाएगा। सांता क्लॉज के इमेजिनेशन के बिना मानों क्रिसमस का त्योहार अधूरा सा लगता है।
क्रिसमस के त्योहार को लेकर सबसे पहले वोगों के मन में केवल एक इमेजिनेशन आता है, लाल और सफेद रंग की ड्रेस, सफेद बाल, बड़ी-बड़ी दाढ़ी वाला एक बुजुर्ग और कंधे पर टंगा गिफ्ट्स से भरा झोला के साथ सांता क्लॅाज। ये सब सोच कर लोगों के मन में अक्सर यह सवाल जरूर आता है कि, क्या सच में सांता क्लॉज है, य़ा फिर केवल कहानियों में और उनकी कल्पनाएं में हैं?
क्रिसमस के अवसर पर अक्सर देखा जाता है कि सांता के वेश में कोई भी व्यक्ति बच्चों के बीच गिफ्ट वगैरह बांटता है, लेकिन इसकी शुरुआत कैसे हुई? क्या सांता क्लॉज सच में थे? क्रिसमस का त्यौहार तो जीसस क्राइस्ट/ईसा मसीह के जन्म की खुशी के तौर पर मनाया जाता है, फिर ये सांता क्लॉज को याद करने का चलन कहां से आया? आइये जानते है इन सभी बातें के बारें में।
सेंट निकोलस से कैसे बने सांता क्लॉज
जानकारी के अनुसार सांता क्लॉज का यह नाम सेंट निकोलस के नाम पर पड़ा है। उनका डच नाम सिंटर क्लॉस था। क्रिश्चियन्स में संत निकोलस को जीसस क्राइस्ट और मदर मैरी के बाद बड़ा स्थान है। फिनलैंड की लोककथाओं के मुताबिक, जीसस के गुजरने के करीब 270-280 साल बाद संत निकोलस दुनिया में आए। रोवानिएमी गांव में उनका जन्म हुआ था। बचपन में ही उनके माता पिता गुजर गए. वे गरीबी और मुफलिसी के बीच पले-बढ़े।
फिनलैंड में सांता क्लॉज का गांव
फिनलैंड में सांता क्लॉज का आधिकारिक गांव भी है। रोवानिएमी नाम के इस गांव में सांता क्लॉज का बकायदा एक दफ्तर भी है, जहां के पते पर दुनियाभर से बच्चे और लोग चिट्ठियां भेजते हैं. यह गांव सालों भर बर्फ से ढका रहता है. यहां सांता भी रहते हैं, जिन्हें आप एक पोस्ट समझ लीजिए। सांता के रूप में रहने वाले व्यक्ति इन चिट्ठियों को पढ़ कर उनका जवाब भी भेजते हैं.
संत निकोलस का मन हमेशा जीसस क्राइस्ट में ही लगा रहता था। बड़े होकर पहले वे पादी बने और फिर बिशप बन गए। यीशु की भक्ति करने के अलावा उन्हें बच्चों से बहुत प्यार था और बच्चों को तोहफे देना उन्हें काफी पसंद था। तोहफे देते समय उनकी यही कोशिश रहती थी कि उन्हें कोई पहचान न सके इसलिए वे रात के अंधेरे में तोहफे देने निकलते थे। सांता क्लॉज का अस्तित्व यहीं से जुड़ा है।
सांता क्लॉज से जुड़ी एक दिलचस्प कहानी
संत निकोलस की वजह से ही सांता क्लॉज बच्चों के सबसे फेवरेट बन गए। उनसे जुड़ी एक कहानी जो सुनाई जाती है, दिल को छू लेने वाली है। एक बेहद गरीब पिता की तीन बेटियां थीं। उनकी शादी करना गरीब पिता के बस की बात नहीं थी। सेंट निकोलस को ये बात पता चली तो वे चुपचाप उस गरीब पिता के घर पहुंचे और उनके आंगन में जो जुराबें सूख रही थीं, उनमें सोने के सिक्के भर कर लौट आए। इस तरह उन्होंने तीनों बेटियों की जिंदगी संवार दी। इसी वजह से क्रिसमस ट्री में जुराब टांगने का चलन है, ताकि सांता आएं और उनमें तोहफे डाल जाएं।