वाराणसी में टूटती साँसों की डोर बांध गयी खाकी, मदद पाने वाले ने कहा इंसानियत ज़िंदा है सर 

कोरोना काल में लोगों ने इंसानियत और अपनों की डोर टूटते देखी है।  साथ ही कई ज़िंदगी की डोर भी मदद की आस में टूट चुकी है पर सोमवार को महानगर के हर इलाके में मुस्तैद खाकी ने ज़िन्दगी के साथ ही साथ इंसानियत की डोर भी टूटने से बचा ली, जब थाना चेतगंज अंतर्गत आने वाली पान दरीबा चौकी के इंचार्ज ने एक दंपत्ति के लिए फरिश्ता बनकर वो काम किया जिसके लिए वो अपनों के आगे हाथ फैलाकर थक चुके थे। 
 

वाराणसी। कोरोना काल में लोगों ने इंसानियत और अपनों की डोर टूटते देखी है।  साथ ही कई ज़िंदगी की डोर भी मदद की आस में टूट चुकी है पर सोमवार को महानगर के हर इलाके में मुस्तैद खाकी ने ज़िन्दगी के साथ ही साथ इंसानियत की डोर भी टूटने से बचा ली, जब थाना चेतगंज अंतर्गत आने वाली पान दरीबा चौकी के इंचार्ज ने एक दंपत्ति के लिए फरिश्ता बनकर वो काम किया जिसके लिए वो अपनों के आगे हाथ फैलाकर थक चुके थे। 

हमें जब इस बात की जानकारी हुई और हमने चौकी इंचार्ज पान दरीबा मिथिलेश यादव से इस बात की दरियाफ्त की तो उन्होंने पहले तो हंसकर टाल दिया और कहा कि मैंने कुछ नहीं किया सब इंसानियत ने किया है।  पर हमने जब कहा कि खाकी का या पैगाम आम न हुआ तो फिर शायद इंसानियत का गला घोंट देना ही बेहतर होगा। 

इसपर चौकी इंचार्ज मिथिलेश यादव ने बताया कि सुबह के 11 बजे थे।  उस समय अपने क्षेत्र में पैदल गश्त पर था तभी देखा कि सड़क किनारे एक अधेड़ महिला जो की पहनावे से अच्छे घर की प्रतीत हो रही है थी रोये जा रही थी और पास ही एक पुरुष भी अधेड़ उम्र का उसके पास बैठा था जो बिना कुछ कहे आँखों से आंसू बहा रहा था।  इसपर उनसे रोने का कारण पूछा तो महिला ने बताया कि उसे पति के पीठ में फोड़ा हो गया है।  उसके इलाज में सारी जमा पूँजी ख़त्म हो गयी अब घर में खाने को भी नहीं बचा तो इनकी दवा कहां से लाऊं।  आज यहाँ एक परिचित के पास पैसे लेने आयी थी पर उसकी दुकान बंद मिली। 

यह बात जानकार मिथिलेश का दिल पसीज गया और खाकी का फ़र्ज़ निभाते हुए मिथिलेश उन्हें चौकी ले आये और सबसे पहले उन्हें अपने खाने का टिफिन दिया और दवा का पर्चा महिला से लेकर अपने क्षेत्र में निकल गए। मिथिलेश ने बताया मैंने उन सज्जन की एक महीने की दवा और एक महीने का राशन पैक करवाया और जब वापस चौकी पहुंचा तो वो दोनों खाना खा चुके थे। 

मिथिलेश के हाथों में दवा का पैकेट और राशन देखकर दम्पत्ति मिथिलेश से लिपट के रो दिए और कहा क़ी सर आज तक जीवन में किसी के आगे हाथ नही फैलाया। आज ऊपर वाले ने ये दिन भी दिखा दिया। मेरे रिश्तेदारों ने मेरा फोन उठाना बंद कर दिया था। कोई मदद को नहीं आया। बेशक आप जैसे नेक लोग इस इस दुनिया में है जिससे दुनिया में इंसानियत कायम है।

मिथिलेश ने उन्हें एक ऑटो रिज़र्व करवाया और महिला के पति को कुछ पैसे दिए की घर में गैस का इंतज़ाम कर लेना। उसके बाद उन्हें वहां से रवाना किया।  मिथिलेश ने बताया कि सब ईश्वर ही करवाता है। किसी जन्म में उनका किया मेरे ऊपर रहा होगा आज इस जन्म में उस भगवान् ने वह अदा करवा दिया।” फिलहाल वाराणसी कमिश्नरेट के इस जांबाज़ एसआई की चर्चा पूरे पुलिस महकमें के साथ आम जनता में भी हो रही है।
[18:52, 31/05/2021] Ishwer Bhaiya BSNL: ok