विजयदशमी : स्वर्णकार क्षत्रिय कमेटी ने किया शस्त्र पूजन, निभाई सदियों पुरानी परम्परा
रिपोर्ट - सोनू कुमार
वाराणसी। पूरा देश आज असत्य पर सत्य का पर्व विजयदशमी हर्षोउल्लास के साथ मना रहा है। विजयदशमी पर शस्त्र पूजन की मान्यता है। इसी क्रम में बनारस में स्वर्णकार क्षत्रिय कमेटी का शस्त्र पूजन समारोह सकुशल संपन्न हुआ। शुक्रवार को दारानगर स्थित स्वर्णकार समाज धर्मशाला में स्वर्णकार क्षत्रिय कमेटी ने शस्त्र पूजन किया।
कमेटी के अध्यक्ष किशोर कुमार सेठ ने बताया कि स्वर्णकार क्षत्रिय कमेटी द्वारा विजयादशमी के अवसर पर विगत सन 1954 से आयोजित होने वाला शस्त्र पूजन समारोह का आयोजन दारानगर, महामृत्युंजय मंदिर स्थित स्वर्णकार समाज धर्मशाला में करता आया है। आज असत्य पर सत्य की जीत के जश्न विजयदशमी पर हम सभी ने विधि-विधान से शस्त्र पूजन किया है।
क्यों किया जाता है शस्त्र पूजन
दशहरा के दिन शस्त्र पूजन करने की परंपरा सदियों पुरानी है। आश्विन शुक्ल पक्ष दशमी को शस्त्र पूजन का किया जाता है। नवरात्रि के नौ दिनों तक मां दुर्गा के पूजन के बाद दशहरे का त्योहार मनाया जाता है। विजयदशमी पर मां दुर्गा का पूजन किया जाता है। मां दुर्गा शक्ति का प्रतीक हैं। भारत की रियासतों में शस्त्र पूजन धूम-धाम से मनाया जाता था। अब रियासतें तो नही रहीं लेकिन परंपराएं शाश्वत हैं। यही कारण है कि इस दिन आत्मरक्षार्थ रखे जाने वाले शस्त्रों की भी पूजा की जाती है। हथियारों की साफ-सफाई की जाती है और उनका पूजन होता है। ऐसी मान्यता है कि इस दिन किए जाने वाले कामों का शुभ फल अवश्य प्राप्त होता है। यह भी कहा जाता है कि शत्रुओं पर विजय प्राप्त करने के लिए इस दिन शस्त्र पूजा करनी चाहिए।
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