वाराणसी : 56वीं पुण्यतिथि पर याद किये गए 'गुदड़ी के लाल', जन्मस्थली पर ताला बंद होने से मायूस दिखे लोग
वाराणसी। आज़ाद भारत के दूसरे प्रधानमंत्री और बनारस की शान लाल बहादुर शास्त्री का 11 जनवरी के दिन ताशकंद में मृत शरीर मिला था। मंगलवार को पूरा देश उनकी 56वीं पुण्यतिथि मना रहा है। इसी क्रम में वाराणसी के रामनगर स्थित उनके पैतृक आवास पर भी पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री को श्रद्धांजलि देने वालों का तांता लगा रहा। वहीँ संग्रहालय और मकान में ताला बंद होने से लोगों में मायूसी भी रही। कोरोना केस बढ़ने के बाद जिला प्रशासन ने सभी स्मारकों को बंद करने का फैसला लिया।
देश के दूसरे प्रधानमंत्री और ‘जय जवान, जय किसान’ का नारा देने वाले लाल बहादुर शास्त्री का 11 जनवरी 1966 को निधन हुआ था। अपनी साफ सुथरी छवि और सादगी के लिए प्रसिद्ध शास्त्री ने प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू के निधन के बाद नौ जून 1964 को प्रधानमंत्री का पदभार ग्रहण किया था। वह करीब 18 महीने तक देश के प्रधानमंत्री रहे। उनके नेतृत्व में भारत ने 1965 की जंग में पाकिस्तान को करारी शिकस्त दी। ताशकन्द में पाकिस्तान के राष्ट्रपति अयूब खान के साथ युद्ध समाप्त करने के समझौते पर हस्ताक्षर करने के बाद 11 जनवरी 1966 की रात में रहस्यमय परिस्थितियों में उनकी मृत्यु हो गयी थी।
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