VDA की प्रेमचंद नगर कॉलोनी में चहुंओर दुर्दशा, पलायन पर मजबूर लोग, सफाईकर्मी देते हैं मोदी-योगी को फोन करने का ताना
रिपोर्ट : ध्यानचंद शर्मा
वाराणसी। मुंशी प्रेमचंद के नाम पर पांडेयपुर में बनायी गयी प्रेमचंद नगर कालोनी इस समय नरक के द्वार पर खड़ी है। यहां सड़क की दुर्दशा और सीवर लाइन के ध्वस्त होने सड़क पर जल-मल अनवरत लगा हुआ है, जिससे कालोनी के 90 प्रतिशत लोग संक्रमण बीमारियों के चपेट में हैं। स्थानीय लोगों का आरोप है कि पार्षद या स्थानीय निगम कर्मी यहां नहीं आते। बहुत बार दौड़ने पर जलकल का टैंकर आता है और पानी खींचकर ले जाता है। सफाईकर्मी कहते हैं सफाई करवाना है तो मोदी-योगी को फोन करो।
स्थानीय लोगों ने जिला प्रशासन से इस समस्या से निजात दिलाने की मांग की है।
कहने को साल 2014 से बनारस में विकास का पहिया अनवरत चल रहा है, पर शहर के वरुणा पार इलाके में विकास आज भी कोसों दूर है। इसका जीता जागता उदाहरण बनी हुई है पांडेयपुर स्थित प्रेमचंद नगर कालोनी जहां मुख्य मार्ग पर सीवर का पानी पिछले कई वर्षों से अनवरत बह रहा है और बरसात में पास की ही पोखरी का पानी इस सड़क पर आ जाता है, जिससे घरों तक पानी घुस जाता है। ऐसे में संक्रामक बीमारियों के बीच डरे सहमे स्थानीय लोग अब इस कालोनी से धीरे धीरे पलायन करने को मजबूर हैं।
समस्या के बारे में बात करते हुए स्थानीय निवासी दिव्या श्रीवास्तव ने बताया कि प्रेमचंद कालोनी में 6 वर्षों से रह रही हूं, पर आज तक यहां सड़क और सीवर की समस्या से निजात नहीं मिली है। नगर निगम, पार्षद, स्थानीय विधायक सभी से गुहार लगायी गयी पर समस्या का समाधान नहीं हुआ। दिव्या ने बताया कि बारिश में स्थिति दयनीय हो जाती है। सड़क से बगल में बह रही पोखरी मिल जाती है और सीवर का पानी घरों में घुसने लगता है। इसके अलावा कालोनी में रहने वाले 90 प्रतिशत लोग बीमार भी हैं।
वहीं ऊषा चौरसिया ने बताया कि यहां पहले सीवर लाइन सही थी। उसके ध्वस्त होने के बाद आज तक उसे दोबारा नहीं बनाया गया, जिससे समस्या है। लोग बीमार पड़ रहे हैं। इसके अलावा जब ज़्यादा जल जमाव होता है तो शिकायत करने पर जल निगम का टैंकर आकर पानी खींचकर ले जाता है। इसके अलावा कोई सुनवाई नहीं है।
स्थानीय निवासी प्रमोद पांडेय ने बताया कि इस समस्या के समाधान के लिए हम सभी जूझ रहे हैं। प्रेमचंद नगर कालोनी अब नरक कालोनी बन गयी है। वीडीए की इस कालोनी के मकान जर्जर भी हैं और उसपर से ये समस्या। दस से अधिक लोग अपने मकान में ताला मारकर अन्यत्र जा चुके हैं।