भगवान चित्रगुप्त की जयंती पर वाराणसी में निकली भव्य शोभायात्रा, महापुरुषों की झांकियां रही आकर्षण का केंद्र
रिपोर्ट : सोनू कुमार
वाराणसी। अखिल भारतीय कायस्थ महासभा वाराणसी के तत्वाधान में विगत वर्षों की तरह इस वर्ष भी भगवान चित्रगुप्त जयंती पर भव्य शोभा यात्रा निकाली गयी। शोभायात्रा शुरू होने से पहले टाउनहाल में पुष्प से सुसज्जित रथ पर सवार भगवान् चित्रगुप्त के चित्र एवं सजीव पात्र की भाजपा काशी क्षेत्र के अध्यक्ष महेशचंद्र श्रीवास्तव ने आरती और पूजा अर्चना की और यात्रा को प्रारंभ किया।
शोभायत्रा में कायस्थ समाज के महापुरुषों के लाग विमान आकर्षण का केंद्र रहे। कायस्थ समाज के पुरुष, युवा, बच्चे और महिलाएं इस शोभायात्रा में गाते-बजाते चल रहे थे। शोभायत्रा मैदागिन, कबीरचौरा, लहुराबीर, जगतगंज, तेलियाबाग, अंधरापुल से होते हुए नदेसर मिंट हॉउस स्थित स्वामी विवेकानंद की प्रतिमा पर पहुंचकर समाप्त हुई। यात्रा मार्ग में लोगों ने शोभायात्रा का फूलों की पंखुड़ियों से स्वागत किया।
इस मौके पर मुख्य अथिति महेशचंद्र श्रीवास्तव ने कहा कि भगवान् चित्रगुप्त परमपिता ब्रह्मा के अंश से उत्पन्न हुए हैं। मान्यता है कि ब्रह्मा जी ने जब सृष्टि की रचना की और इसके लिए देव, असुर, गांधर्व, अप्सरा, स्त्री-पुरुष, पशु-पक्षी आदि का जन्म किया तो यमराज का भी जन्म हुआ जिन्हे हम सभी धर्मराज भी कहते हैं, क्योंकि वो धर्म के अनुसार ही प्राणियों को उनके कर्म का फल देते हैं। धर्मराज ने जब अपने इस बड़े कार्य के सहयोग के लिए किसी सहयोगी की मांग की तो ब्रह्मा जी ने 10 हज़ार साल के लम्बे तप के बाद उन्हें चित्रगुप्त जैसा साथी दिया। यम द्वितीय के दिन यम और यमुना की पूजा की जाती है ऐसे में भगवान् चित्रगुप्त की पूजा भी होती है क्योंकि वो यमराज के सहयक हैं।
इस शोभा यात्रा में शामिल पूर्व दर्जा प्राप्त प्रदेश मंत्री रीबू श्रीवास्तव ने कहा कि अखिल भारतीय कायस्था सभा की तरफ से आयोजित यह शोभायात्रा बहुत ही भव्य है। हर वर्ष इसका आयोजन किया जाता है और कायस्थ समाज के महापुरुषों जैसे स्वामी विवेकानंद, लाल बहदुर शास्त्री, सुभाषचंद्र बोस, खुदीराम बोस, डॉ राजेंद्र प्रसाद, मुंशी प्रेमचंद्र, महादेवी वर्मा, गणेश शंकर विद्यार्थी, अरविंदो घोष आदि के लाग विमान हमें उनके जैसा करने की प्रेरणा दे रहे हैं।
देखें वीडियो
देखें तस्वीरें