39 GTC के मोटिवेशनल हाल का हफ्ते में दो दिन आम जनता कर सकेगी दीदार, जानेगी भारत-पाकिस्तान जंग का इतिहास 

39 गोरखा प्रशिक्षण केंद्र (39 GTC ) में शुक्रवार को कमांडेंट ब्रिगेडियर हुकुम सिंह बैसला के निर्देशन में मोटिवेशनल हाल-म्यूज़ियम को आम जनता के लिए खोल दिया गया। यह म्यूज़ियम हफ्ते में दो दिन मंगलवार और शुक्रवार को खोला जाएगा। इस सुविधा के आज हुए उद्घाटन में सुबह 10 बजे आर्मी पब्लिक स्कूल और केंद्रीय विद्यालय के बच्चों ने म्यूज़ियम का अवलोकन किया और भारत के वीर सैनिकों का इतिहास जाना। इस म्यूज़ियम में गोरखा सैनिकों द्वारा प्रथम विश्व युद्ध से लेकर भारत-पाक्सितान जंग में दिखाए गए शौर्य और पराक्रम की गाथा को संजोया गया है। 
 

रिपोर्ट : राजेश अग्रहरि 

वाराणसी। 39 गोरखा प्रशिक्षण केंद्र (39 GTC ) में शुक्रवार को कमांडेंट ब्रिगेडियर हुकुम सिंह बैसला के निर्देशन में मोटिवेशनल हाल-म्यूज़ियम को आम जनता के लिए खोल दिया गया। यह म्यूज़ियम हफ्ते में दो दिन मंगलवार और शुक्रवार को खोला जाएगा। इस सुविधा के आज हुए उद्घाटन में सुबह 10 बजे आर्मी पब्लिक स्कूल और केंद्रीय विद्यालय के बच्चों ने म्यूज़ियम का अवलोकन किया और भारत के वीर सैनिकों का इतिहास जाना। इस म्यूज़ियम में गोरखा सैनिकों द्वारा प्रथम विश्व युद्ध से लेकर भारत-पाक्सितान जंग में दिखाए गए शौर्य और पराक्रम की गाथा को संजोया गया है। 

इस सम्बन्ध में ब्रिगेडियर हुकुम सिंह बैंसला ने बताया कि हमने एक कार्यक्रम आज से यहाँ शुरू किया है। 39 जीटीसी कैम्पस में बने हुए मोटिवेशनल हाल-म्यूज़ियम को आज से आम पब्लिक को लिए भी खोल दिया गया है। इस म्यूज़ियम में आम पब्लिक मंगलवार और शुक्रवार को शाम 4 बजे से 6 बजे तक खोला जाएगा। 

हुकुम सिंह ने बताया कि काशी धार्मिक नगरी है और लोग धार्मिक यात्रा पर यहां आते हैं। हम चाहते हैं कि लोग अब यहाँ देशभक्ति की यात्रा पर भी आएं और अपने वीर जवानों के पराक्रम और शौर्य को करीब से देखें और जानें। इस म्यूज़ियम में हमारे वीर सैनिक जो आज़ादी के पहले और बाद में देश के लिए लड़े और अपने प्राणों की आहूति दी उन सबका इतिहास और उनके द्वारा इस्तेमाल किया गया अस्त्र-शास्त्र यहां रखा गया है ताकि लोग उससे मोटिवेशन ले सकें। 

इस मोटिवेशन हाल-म्यूज़ियम में 3 और 9 गोरखा बटालियन के गौरवमयी इतिहास व उनके साहस  और पराक्रम के बारे में बताया गया है। इसके आलावा प्रथम विश्व युद्ध, दुसरे विश्व युद्ध, 1996 के भारत-चीन युद्ध और 1965 व 1971 के भारत-पाक युद्ध में गोरखा सैनिकों के अदम्य साहस, शौर्य और बलिदान को संजोया गया है।

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