विश्व आपदा सम्मेलन मंथन से निकले अमृत से मानवता का होगा भला : राज्यपाल
-राज्यपाल ने देहरादून डिक्लेरेशन का किया विमोचन
देहरादून, 01 दिसम्बर (हि.स.)। राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह (सेनि) ने कहा कि आपदा विश्व सम्मेलन के माध्यम से विशेषज्ञों के चिंतन और मंथन से निकलने वाले अमृत से समस्त मानवता का भला होगा। सम्मेलन में 70 देशों के प्रतिनिधियों की ओर से देवभूमि कार्यक्रम में शामिल होना सम्मान की बात है।
शुक्रवार को ग्राफिक एरा विश्वविद्यालय में छठवें वर्ल्ड कांग्रेस ऑन डिजास्टर मैनेजमेंट के समापन सत्र में बतौर मुख्य अतिथि राज्यपाल ने यह बातें कही। राज्यपाल ने कहा कि जिस दिन यह सम्मेलन प्रारंभ हुआ था उसी दिन हमने हमारी एक बड़ी चुनौती से जीत हासिल की। 17 दिनों के लंबे संघर्ष के बाद आखिरकार 28 नवंबर को हमने सिलक्यारा टनल में फंसे हुए अपने बहादुर साथियों को सकुशल बाहर निकालने में सफलता प्राप्त की।
उन्होंने कहा कि यह सम्मान की बात है कि 70 देशों के प्रतिनिधियों की ओर से देवभूमि उत्तराखंड में इस प्रकार के वैश्विक सम्मेलन में प्रतिभाग किया गया है। उत्तराखंड राज्य की भोगौलिक परिस्थितियां विषम हैं, और हमारे राज्य ने निरंतर आपदाओं का दंश झेला है। 1991 में उत्तरकाशी में आए भूकम्प की बात हो या 2013 में केदारनाथ की विनाशकारी बाढ़ की, इन अवसरों पर राज्य को बड़ी संख्या में क्षति पहुंची है। इस प्रकार के आयोजन से हिमालयी क्षेत्र में आपदा प्रबंधन करने में सहायता प्राप्त होगी।
उन्होंने कहा कि 2015 में विश्व की ओर से आपदा जोखिम न्यूनीकरण के लिए सेंडाई फ्रेमवर्क अपनाया गया जो अंतरराष्ट्रीय सहयोग की क्षमता का उदाहरण है। यह स्वैच्छिक, गैर-बाध्यकारी समझौता 2030 तक प्राप्त किए जाने वाले सात वैश्विक लक्ष्यों की रूपरेखा तैयार करता है, जिसमें आपदा जोखिम में कमी, सतत विकास और जलवायु परिवर्तन अनुकूलन के अंतर्संबंध पर जोर दिया गया है।
राज्यपाल ने कहा कि उत्तराखंड में हमारे राज्य आपदा प्रबंधन विभाग ने अपनी कार्यप्रणाली में एवं आपदा की स्थिति में राहत कार्यों के सफल संचालन और रोकथाम के लिए सभी चार सेंडाई फ्रेमवर्क सिद्धांतों को शामिल किया है। उन्होंने कहा कि तकनीकी और वैज्ञानिक नवाचार के साथ, भारत महत्वपूर्ण आर्थिक विकास के मार्ग पर प्रगतिशील है। मेक इन इंडिया, स्किल इंडिया, डिजिटल इंडिया, स्वच्छ भारत अभियान, स्मार्ट सिटी मिशन और ऐसी पहल हैं जिनसे देश के विकास को और गति मिल रही है। साथ ही हमारे सामने यह अवसर भी है। हम विभिन्न क्षेत्रों में विकास पहलों की योजना बनाने और डिजाइन बनाते समय ही आपदाओं के जोखिमों को कम करने की प्रक्रियाओं को भी साथ में लेकर चलें।
देहरादून डिक्लेरेशन सम्मेलन में चार दिनों का विचार-विमर्श शामिल
इस अवसर पर अतिथियों की ओर से देहरादून डिक्लेरेशन का विमोचन भी किया गया। जिसमें इस सम्मेलन में विगत 4 दिनों तक विभिन्न विशेषज्ञों के मध्य हुए विचार-विमर्श के आधार पर 20 मुख्य व 5 कार्यवाही योग्य बिंदुओं को शामिल किया गया है।
इस मौके पर केंद्रीय मंत्री किरण रिजिजू, अंडमान एवं निकोबार के उपराज्यपाल एडमिरल डी के जोशी, सचिव आपदा प्रबंधन डॉ. रंजीत सिन्हा, डॉ. दुर्गेश पंत, ग्राफिक एरा विश्वविद्यालय के चेयरमैन प्रो. कमल घनशाला, कार्यक्रम के संयोजक मंडल के पदाधिकारी और 51 देशों के प्रतिनिधियों के साथ-साथ वर्चुअल माध्यम से कुल 70 देशों के प्रतिनिधि उपस्थित थे।
हिन्दुस्थान समाचार/राजेश/वीरेन्द्र