पुनर्वास नीति 2007 के आधार पर जोशीमठ के लिए विस्थापन व पुनर्वास नीति लागू की जाये
जोशीमठ, 24 फरवरी (हि.स.)। जोशीमठ बचाओ संघर्ष समिति के आह्वान पर आयोजित मासिक धरना कार्यक्रम के उपरांत एसडीएम के माध्यम से मुख्यमंत्री को ज्ञापन भेजा गया।
मुख्यमंत्री को भेजे ज्ञापन में कहा गया है कि जोशीमठ में निर्धारित किए गए अति संवेदनशील क्षेत्र कहीं से भी तर्कसंगत नही है। इसके निर्धारण की प्रक्रिया का खुलासा किये जाने,भारत सरकार की विस्थापन एवं पुनर्वास नीति 2007 के आधार पर जोशीमठ के लिए व्यापक पुनर्वास एवं विस्थापन नीति लाए जाने, स्थानीय लोगों की सेना की कब्जे वाली भूमि को पुनर्वास हेतु उपयोग में लाए जाने, प्रभावितों की भूमि का मूल्य सरकार द्वारा गठित कमेटी के प्रस्ताव के अनुरूप निर्धारण किए जाने और आपदा के कारण जोशीमठ के निवासियों को हुए नुकसान की भरपाई मुख्यमंत्री जी की सहमति के अनुसार यथा शीघ्र किए जाने की मांग की गई है।
ज्ञापन में जोशीमठ के स्थरीकरण के कार्य शीघ्र शुरू कराते हुए संघर्ष समिति के प्रतिनिधि को मॉनिटरिंग कमेटी मे रखते हुए कमेटी का गठन किए जाने, जोशीमठ के धार्मिक रीति रिवाज,आस्था, विश्वास व जुड़ाव को अक्षुण्ण रखते हुए जोशीमठ के दायरे में ही विस्थापन/पुनर्वास किए जाने की पुरजोर मांग की गई है।
मुख्यमंत्री को भेजे इस ज्ञापन में होमस्टे को व्यावसायिक श्रेणी से हटाने व व्यावसायिक प्रतिष्ठानों पर मुवावजा निर्धारण में लगाए गए स्लैब को निरस्त किए जाने,राजीव आवास व प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत बने भवनों का भी मुआवजा भुगतान के साथ ही कच्चे मकानों का मूल्य निर्धारण करने, संवेदनशील क्षेत्र में स्थित व्यावसायिक व कृषि भूमि के मुआवजे की स्थिति स्पष्ट करने के साथ ही 08 अप्रैल 2023 को मुख्यमंत्री जी के साथ हुई वार्ता के उपरांत बनी सहमति पर अमल करने की मांग की गई। इससे पूर्व धरना स्थल पर हुई सभा मे उपस्थित सभी लोगों ने विस्थापन व पुनर्वास प्रस्ताव पर असहमति व्यक्त की।
ज्ञापन पर संघर्ष समिति के संयोजक अतुल सती, अध्यक्ष शेलेंद्र पंवार, प्रवक्ता कमल रतूड़ी के अलावा रजनीश पंवार, हरीश भंडारी, भुवन चन्द्र उनियाल, कुशलानंद बहुगुणा, राकेश सती, प्रकाश नेगी, माधव प्रसाद डिमरी,मनोज कुमार, अरुण लाल साह,केएन डिमरी, सीएम फोनिया व मीना डिमरी आदि के हस्ताक्षर हैं।
हिन्दुस्थान समाचार/प्रकाश कपरूवाण /रामानुज