नगर में 1 दिसंबर काे हाेगी सनातन जनजागरण पदयात्रा

 


- संस्कृति, संस्कार और परंपराओं को जागृत करने का महाअभियान: डाॅ जाेशी - संस्कृति और श्रद्धा का महोत्सव : नगर के चाराें सिद्ध मंदिराें की हाेगी परिक्रमा

देहरादून, 29 नवंबर (हि.स.)। देहरादून की धरोहर माडू सिद्ध, माणिक सिद्ध, लक्ष्मण सिद्ध और कालू सिद्ध के प्रति श्रद्धा और भक्ति को पुनर्जीवित करने और सनातन धर्म के प्रति जागरुकता बढ़ाने के लिए 1 दिसंबर को एक दिवसीय 'सनातन जनजागरण पदयात्रा' आयोजित की जा रही है। यह यात्रा संस्कार परिवार देहरादून के तत्वावधान में होगी, जिसका नेतृत्व आचार्य डॉ. विपिन जोशी करेंगे।

आचार्य डॉ. विपिन जोशी ने बताया कि पदयात्रा का उद्देश्य सिर्फ चार सिद्धों की परिक्रमा नहीं है, बल्कि धर्म-संस्कृति और परंपराओं को लेकर सोई हुई चेतना को जागृत करना है। सनातन धर्म की संस्कृति, संस्कार, रीति-रिवाज और परंपराओं को बढ़ावा देना और समाज में जागरुकता पैदा करना है। उन्होंने कहा कि वर्तमान में, बांग्लादेश सहित विश्वभर में सनातन धर्म के अपमान की घटनाओं के पीछे हमारी उदासीनता को जिम्मेदार माना जा रहा है। इस उदासीनता को दूर कर धर्म के प्रति श्रद्धा और समर्पण का भाव जगाने के लिए इस महायात्रा का आयोजन किया गया है।डॉ जोशी ने कहा कि यह यात्रा केवल धार्मिक आयोजन नहीं है, यह समाज को जोड़ने और धर्म की शक्ति को समझाने का प्रयास है। सनातन धर्म की धरोहरों को संरक्षित करने और नई पीढ़ी को परंपराओं से जोड़ने का यह एक अनूठा प्रयास है।उन्होंने बताया कि पदयात्रा का शुभारंभ 1 दिसंबर को श्रीटपकेश्वर महादेव मंदिर से प्रातः 5 बजे होगा। यह यात्रा श्रीधोलेश्वर महादेव मंदिर और माडू सिद्ध मंदिर होते हुए बालाजी धाम झांझरा पहुंचेगी। इसके बाद यह यात्रा माणिक सिद्ध होते हुए प्रेमनगर श्रीसनातन धर्म मंदिर पहुंचेगी, जहां धर्मसभा और भजन-कीर्तन हाेगा। धर्मसभा के उपरांत यात्रा लक्ष्मण सिद्ध मंदिर और कालू सिद्ध मंदिर पहुंचेगी और दर्शन कर आशीर्वाद लेगी। इसके बाद पुन: श्रीटपकेश्वर महादेव मंदिर पहुंचकर पदयात्रा का समापन होगा।उन्हाेंने बताया कि यात्रा श्रीटपकेश्वर महादेव से माडू सिद्ध तक पैदल और वाहनों के माध्यम से होगी। इसके बाद माडू सिद्ध से प्रेमनगर और माणिक सिद्ध तक का मार्ग वाहनों से तय किया जाएगा। प्रेमनगर और चारों सिद्धों के स्थलों पर भक्तजन पैदल यात्रा करेंगे। इसके बाद कालू सिद्ध से श्रीटपकेश्वर महादेव तक वापसी वाहनों से होगी। उन्हाेंने कहा कि हमारी उदासीनता ही हमारी संस्कृति के ह्रास का सबसे बड़ा कारण है। दुनियाभर में हो रहे सनातन धर्म के अपमान को लेकर जागरुकता फैलाने का यह एक अनोखा प्रयास है।

हिन्दुस्थान समाचार / कमलेश्वर शरण