ग्रामीण महिलाओं को उद्यमशीलता और स्वरोजगार के सीखाए गुर
चंपावत, 27 दिसंबर (हि.स.)। चम्पावत में ग्रामीण महिलाओं में उद्यमशीलता और स्वरोजगार को बढ़ावा देने के उद्देश्य से एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम की अध्यक्षता उत्तराखण्ड के पर्यटन एवं ग्राम्य विकास सचिव धीराज सिंह गर्ब्याल ने की।
कार्यशाला के आरंभ में, सचिव गर्ब्याल ने कलेक्ट्रेट परिसर में लगे महिला सहायता समूहों और विभिन्न विभागों के स्टॉलों का निरीक्षण किया। उन्होंने स्थानीय कृषि, बागवानी और अन्य उत्पादों की गुणवत्ता में सुधार, उनके संवर्धन और बेहतर विपणन पर विशेष बल दिया।
इसी क्रम में, सचिव ने एक पेड़ माँ के नाम अभियान के तहत अपनी माता स्वर्गीय श्रीमती कमला गर्ब्याल के नाम पर वृक्षारोपण किया। उन्होंने परिसर की व्यवस्थाओं और विकास संबंधी तैयारियों का भी जायजा लिया।कार्यशाला के मुख्य सत्र में, मुख्यमंत्री उद्यमशाला योजना के अंतर्गत महिलाओं की उद्यमशीलता और व्यावसायिक क्षमता बढ़ाने पर विस्तृत चर्चा की गई। सचिव ने उपस्थित महिलाओं से सीधा संवाद किया, उनकी समस्याओं को सुना और कई समस्याओं का मौके पर ही समाधान सुनिश्चित किया।
उन्होंने रूरल सेंटर इन्क्यूबेटर की भूमिका को सशक्त करने, 'लखपति दीदी' योजना के तहत लाभार्थियों की संख्या बढ़ाने और व्यावसायिक गतिविधियों के विस्तार पर भी जोर दिया। सचिव गर्ब्याल ने महिलाओं को कृषि, बागवानी और पर्यटन को एकीकृत तथा क्लस्टर-आधारित मॉडल अपनाकर जोड़ने का सुझाव दिया।
उन्होंने होम-स्टे को पारंपरिक पहाड़ी शैली में विकसित करने, ट्रैकिंग ट्रेल्स की पहचान कर रोजगार सृजित करने और महिलाओं को होम-स्टे संचालन के लिए प्रशिक्षित करने के निर्देश दिए। इसके अतिरिक्त, सचिव ने खिरद्वारी क्षेत्र को ट्राइबल टूरिज्म हब के रूप में विकसित करने तथा स्थानीय संस्कृति, परंपराओं और आजीविका को बढ़ावा देने हेतु चरणबद्ध योजना बनाने के निर्देश दिए।
उन्होंने महिलाओं को कमियों की पहचान कर उनमें सुधार करने और गुणवत्तापूर्ण उत्पादन के माध्यम से बाजार में अपनी पहचान स्थापित करने के लिए भी प्रेरित किया।
इस अवसर पर जिलाधिकारी मनीष कुमार, पुलिस अधीक्षक अजय गणपति, मुख्य विकास अधिकारी डॉ. जी एस खाती, ब्लॉक प्रमुख अंचला बोहरा, विधायक प्रतिनिधि प्रकाश तिवारी सहित जिले भर के महिला सहायता समूहों की सदस्य महिलाएं और अन्य अधिकारी उपस्थित थे।
हिन्दुस्थान समाचार / राजीव मुरारी