आईटीबीपी परिसर में न्यायमूर्तियों ने सुनीं पूर्व सैनिकों की समस्याएं

 






चंपावत, 22 दिसंबर (हि.स.)। चंपावत जिले के लोहाघाट स्थित छमनिया में 36वीं वाहिनी आईटीबीपी परिसर में एक संवाद एवं सम्मेलन कार्यक्रम आयोजित किया गया। यह आयोजन पूर्व सैनिकों और अर्धसैनिक बलों के जवानों को न्याय तक सरल, सुलभ और त्वरित पहुंच प्रदान करने के उद्देश्य से नालसा वीर परिवार सहायता योजना–2025 के अंतर्गत किया गया था।

कार्यक्रम की अध्यक्षता माननीय सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश एन. कोटेश्वर सिंह और माननीय उत्तराखंड उच्च न्यायालय के न्यायाधीश मनोज तिवारी ने की। इस अवसर पर बड़ी संख्या में भूतपूर्व सैनिकों और अर्धसैनिक बलों के जवानों ने भाग लिया।

उन्होंने सेवा से जुड़े, सेवानिवृत्ति उपरांत पेंशन, पारिवारिक विवाद, भूमि विवाद सहित अपनी अन्य कानूनी समस्याओं को सीधे न्यायमूर्तियों के समक्ष प्रस्तुत किया। न्यायमूर्तियों ने सभी समस्याओं को गंभीरता से सुना और विधिक सहायता, सुलह तथा समाधान के प्रभावी उपायों की जानकारी दी।

उत्तराखंड राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण, नैनीताल से पधारे सदस्य सचिव प्रदीप मणि त्रिपाठी ने विधिक सेवा प्राधिकरण की कार्यप्रणाली पर विस्तार से प्रकाश डाला। त्रिपाठी ने भूतपूर्व सैनिकों से अपील की कि वे किसी भी कानूनी कठिनाई में निःसंकोच विधिक सेवा प्राधिकरण से संपर्क करें और नालसा वीर परिवार सहायता योजना–2025 का अधिक से अधिक लाभ उठाएं।

माननीय सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश एन. कोटेश्वर सिंह ने कहा कि उत्तराखंड वीर सैनिकों की भूमि है और सैनिकों का योगदान अतुलनीय है। उन्होंने जोर दिया कि उनके अधिकारों की रक्षा न्यायपालिका की प्राथमिकता है। वहीं, माननीय उच्च न्यायालय के न्यायाधीश मनोज तिवारी ने बताया कि यह योजना भूतपूर्व सैनिकों के लिए एक सशक्त मंच है, जिससे उन्हें निःशुल्क और त्वरित न्यायिक सहायता मिल सकेगी।

कार्यक्रम से पूर्व, न्यायाधीशों के आगमन पर जिला जज अनुज कुमार संगल, सीजेएम निहारिका मित्तल गुप्ता, न्यायिक मजिस्ट्रेट काजल रानी, 36वीं वाहिनी के कमांडेंट संजय कुमार, एसडीएम नितेश डांगर, जिला सैनिक कल्याण अधिकारी कर्नल उमेद सिंह सहित अन्य गणमान्य व्यक्तियों ने उनका स्वागत किया। कार्यक्रम का संचालन शासकीय अधिवक्ता भास्कर मुरारी ने किया।

हिन्दुस्थान समाचार / राजीव मुरारी