संस्कृति की संवाहक होती है महिलाएं : डॉ. वंदना पांडेय

 






-देवभूमि नारी शक्ति संगम में 500 से अधिक महिलाओं ने किया प्रतिभाग

हरिद्वार,10 दिसंबर (हि.स.)। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से अनुप्राणित देवभूमि नारी शक्ति संगम का भव्य आयोजन आज ज्वालापुर इंटर कालेज परिसर में हुआ। प्रथम सत्र में महिला कल, आज और कल तथा दूसरे सत्र में भारतीय चिंतन में महिला विषय पर प्रश्न एवं करणीय कार्य पर चर्चा हुई।

प्रथम सत्र में गौतमबुद्ध विश्वविद्यालय की प्रोफेसर डॉ. वंदना पांडे ने कहा कि महिला संस्कृति की संवाहक होती है, बालक की प्रथम गुरु होती है। महिला केवल एक शिशु को जन्म नहीं देती, अपितु पूरा राष्ट्र पालती है। भारतीय संस्कृति में परिवार व्यवस्था व पर्यावरण का चिंतन सशक्त रूप से जुड़ा है। अनेक कुठाराघातों के बाद भी यदि भारतीय संस्कृति अक्षुण्ण है तो इसमें महिलाओं का बड़ा योगदान है।

उन्होंने ऋग्वेद के एक श्लोक का जिक्र करते हुए कहा कि महिला तो समर्पण की प्रतिमूर्ति है- चाहे वह पत्नी हो अथवा माँ। उन्होंने कहा भारत की प्राचीन विदुषियों को षडयंत्र के अंतर्गत भुला दिया गया। मुगल काल में जब बहु-बेटियों को को उठाया जाने लगा तब पर्दा प्रथा, सतीप्रथा, बाल कन्या हत्या इत्यादि कुप्रथाएं प्रचलित हुई। अंग्रेजों ने भारतीय संस्कृति को छिन्न भिन्न करने के लिए झूठा इतिहास लिखवाया। इसलिए महिलाएं पाश्चात्य संस्कृति का अंधानुकरण न करें। महिलाओं का आह्वान करते हुए कहा कि महिलाओं में अपने धर्म के प्रति धार्मिक प्रतिबद्धता अवश्य होनी चाहिए। उन्होंने कहा प्रत्येक नारी को इस बात पर गर्व होना चाहिए कि मैं भारत की बेटी हूं, भारत की स्त्री हूँ।

दूसरे चर्चा सत्र में पद्मश्री पर्वतारोही श्रीमती संतोष यादव ने कहा कि हमें अपने बच्चों को पौराणिक ग्रन्थों,कथाओं,कहानियों के माध्यम से संस्कारवान बनाना चाहिए। जिस प्रकार हम छोटेपन से बेटियों को अच्छे-बुरे की शिक्षा देने लगते है,उसी प्रकार बेटों को भी संस्कारी बनाये। उन्हें महिलाओं की इज्जत करना सिखाये। महिलाओं को बच्चों के साथ मित्रता वाला व्यवहार रखना चाहिए ताकि बच्चे हर छोटी-बड़ी बात को आप से साझा करे।

अतिथियों का स्वागत करते हुए कार्यक्रम संयोजिका सुलोचना पंवार ने कहा कि स्त्री पारिवार एवं समाज की धुरी है, वक्त आने पर उसने यह सिद्ध भी किया है। कार्यक्रम का सञ्चालन श्रीमती नीरज शर्मा ने किया। इस मौके पर वरिष्ठ लेखिका डॉ. रजनी रंजना, मैती संस्था की संस्थापिका कुसुम जोशी,किक्रेटर कनक टपरानिया,इरा शर्मा,डॉ. श्रीजा सिंह चन्देल सहित प्रतिभावान महिलाओं को प्रोत्साहित व सम्मानित भी किया गया।

हिन्दुस्थानसमाचार/रजनीकांत/रामानुज