गोमाता को राष्ट्रमाता का सम्मान दिलाने के लिए 25 को देहरादून पहुंचेगी गोध्वज स्थापना भारत यात्रा
- गोहत्या मुक्त भारत बनाने के लिए संपूर्ण भारत में चलाया जा रहा गो प्रतिष्ठा आंदोलन
देहरादून, 05 अक्टूबर (हि.स.)। जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद व गोपाल मणि महाराज 25 अक्टूबर को गोध्वज स्थापना भारत यात्रा के साथ देवभूमि उत्तराखंड की राजधानी देहरादून आएंगे। यहां दोपहर 12 से तीन बजे तक गौ ध्वज की स्थापना के साथ गो महासभा को संबोधित करेंगे।
गोध्वज स्थापना भारत यात्रा के राष्ट्रीय सह संयोजक व उत्तराखंड प्रभारी गोभक्त विकास पाटनी ने उत्तरांचल प्रेस क्लब में शनिवार को मीडिया से बातचीत के दौरान कहा कि सनातन धर्म में वेद, उपनिषद्, पुराणों सहित समस्त धर्मशास्त्रों में गो की महिमा गाई गई है। गाय को पशु नहीं अपितु माता की प्रतिष्ठा दी गई है। यही सनातनधर्मी हिंदुओं की पवित्र भावना है, आस्था है।
इसी धार्मिक आस्था के लिए संविधान एवं कानून में गाय को राज्य सूची से केंद्रीय सूची में प्रतिष्ठित कर गोमाता को राष्ट्रमाता का सम्मान दिलाने व गोहत्या मुक्त भारत बनाने के लिए संपूर्ण भारत में गो प्रतिष्ठा आंदोलन चलाया जा रहा है। इसी क्रम में गोध्वज स्थापना भारत यात्रा 25 अक्टूबर उत्तराखंड की राजधानी देहरादून पहुंचेगी। इसके उपरांत अग्रिम यात्रा के लिए देश की राजधानी दिल्ली प्रस्थान करेगी। उन्होंने कहा कि गोध्वज स्थापना पद यात्रा का सूत्रवाक्य गोमाता-राष्ट्रमाता, राष्ट्रमाता-भारतमाता है।
अखिलेश ब्रम्हचारी ने बताया कि गोध्वज स्थापना भारत यात्रा के उपरांत दिल्ली में गोपाष्टमी के अवसर पर सात, आठ, नौ नवंबर को तीन दिवसीय राष्ट्रव्यापी गो प्रतिष्ठा महासम्मेलन होगा, जो गोमाता को राष्ट्रमाता की प्रतिष्ठा दिलाने के लिए निर्णायक होगा। इस दौरान भारतीय गो क्रांति मंच के संरक्षक बलबीर सिंह पंवार, प्रदेश अध्यक्ष शूरवीर सिंह मटूड़ा, महासचिव यशवंत सिंह रावत, आनंद सिंह रावत, रविंद्र सिंह रावत, तेजराम नौटियाल आदि उपस्थित थे।
दरअसल, ज्योतिष्पीठाधीश्वर जगद्गुरु शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद के नेतृत्व में गत 22 सितंबर से संपूर्ण भारत में गौ प्रतिष्ठा आंदोलन के अंतर्गत गोध्वज स्थापना भारत यात्रा निकाली जा रही है, जो भारत के समस्त 36 प्रदेशों की राजधानी में पहुंचकर वहां एक गौ ध्वज की स्थापना कर रही है। यह यात्रा 27 अक्टूबर को वृंदावन में विराम लेगी।
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हिन्दुस्थान समाचार / कमलेश्वर शरण