विक्टोरिया क्रॉस गबर सिंह नेगी पर फ़िल्म का प्रदर्शन

 






देहरादून, 10 मार्च (हि.स.)। विक्टोरिया क्रॉस गबर सिंह नेगी के बलिदान दिवस के अवसर पर उनपर आधारित एक डॉक्यूमेंट्री फ़िल्म का प्रदर्शन किया गया। ''विक्टोरिया क्रॉस गबर सिंह नेगी'' शीर्षक से बनी इस हिन्दी फ़िल्म की अवधि तकरीबन 30 मिनट है।

रविवार शाम लैंसडाउन चौक स्थित दून पुस्तकालय एवं शोध केंद्र की ओर से संस्थान के सभागार में विक्टोरिया क्रॉस गबर सिंह नेगी के शहादत दिवस पर कार्यक्रम आयोजित किया गया। इस फ़िल्म का निर्देशन सुपरिचित फिल्मकार व लेखक जय प्रकाश पंवार ने किया है। फ़िल्म की पटकथा व शोध आलेख साहित्यकार डॉ.मुनिराम सकलानी ने लिखी है।

फ़िल्म निर्माता और लेखक जय प्रकाश पंवार ने इस फ़िल्म के निर्माण के उद्देश्य और प्रासंगिकता पर प्रकाश डालते हुए फ़िल्म निर्माण के दौरान के अनुभवों को साझा किया।

फ़िल्म की पटकथा लिखने वाले साहित्यकार डॉ.मुनिराम सकलानी ने फ़िल्म के कथानक की जानकारी उपस्थित लोगों को दी।

ब्रिगे. केजी बहल (सेवानिवृत्त) ने प्रथम व द्वितीय विश्वयुद्ध और तत्कालीन भारतीय सैनिकों की अदम्य वीरता से जुड़े विविध प्रसंगों पर प्रकाश डाला। सामाजिक इतिहासकार डॉ.योगेश धस्माना ने गबर सिंह नेगी के जीवन पर आधारित अनेक महत्वपूर्ण जानकारी दी और गढ़वाल की परम्परागत सैन्य परम्परा पर विस्तार से प्रकाश डाला।

कार्यक्रम के आरम्भ में दून पुस्तकालय एवं शोध केंद्र के प्रोग्राम एसोसिएट चंद्रशेखर तिवारी ने उपस्थित लोगों का स्वागत करते हुए कहा कि यह डॉक्यूमेंट्री फिल्म, फिल्म निर्माताओं की ओर से गढ़वाल राइफल्स के गबर सिंह नेगी की असाधारण वीरता के अभिलेखीकरण की दिशा में किया जाने वाले कार्य का एक शानदार प्रयास है।

उल्लेखनीय है कि गबर सिंह नेगी को प्रथम विश्व के दौरान ब्रिटिश भारतीय सेना में एक बहादुर सैनिक के रूप में जाना जाता है। जिन्हें युद्ध में असाधारण वीरता के लिए विक्टोरिया क्रॉस का सर्वोच्च और सबसे प्रतिष्ठित वीरता पुरस्कार दिया गया।

गबर सिंह नेगी का जन्म 21 अप्रैल को 1895 में जनपद टिहरी गढ़वाल के चम्बा कस्बे के समीप मंजूर गांव में हुआ था। अक्टूबर 1913 में वे ब्रिटिश भारत सेना की एक रेजिमेंट सेकेण्ड गढ़वाल राइफल की बटालियन में वे बतौर सैनिक शामिल हो गये।

प्रथम विश्व युद्ध छिड़ने पर 39वीं गढ़वाल राइफल्स को भारतीय अभियान दल के लिए रेजिमेंट का चयन किया गया। 10 मार्च 1915 को लड़ाई के दौरान गबर सिंह नेगी की सेकेण्ड बटालियन की टुकड़ी न्यूवे के दक्षिण-पश्चिम में बहादुरी के साथ दुश्मन सैनिकों पर हमलावर की भूमिका निभा रही थी।

इस महायुद्ध में जब गढ़वाल रेजिमेंट के सेनानायक सहित कई लोग बलिदानी होने और अनेक सैनिक हताहत होने लगे तो युद्ध की कमान गबर सिंह नेगी को दी गई। तब उन्होंने वीरता के साथ जर्मन खाइयों पर नियंत्रण करने का बहुतेरा प्रयास किया और आगे बढ़ कर टुकड़ी का बहादुरी के साथ नेतृत्व किया। युद्ध करते हुए उन्होंने अनेक शत्रुओं को मौत के घाट उतारा और बाद में खुद इस महायुद्ध में वीरता के साथ मात्र 20 वर्ष की आयु में ही शहीद हो गये ।

10 मार्च को इस महायुद्ध में उनके इस अदम्य साहस और वीरतापूर्ण कार्रवाई को देखते हुए उन्हें ब्रिटिश साम्राज्य के एक वीर सैनिक के रूप में 1856 में स्थापित सर्वोच्च विक्टोरिया क्रॉस, पुरस्कार का सम्मान मरणोपरांत प्रदान किया गया।

इस अवसर पर जनकवि डॉ.अतुल शर्मा, विनोद सकलानी, शिव जोशी,शैलेन्द्र नौटियाल, ब्रिगे. भारत भूषण शर्मा और सुंदर सिंह बिष्ट सहित अनेक फ़िल्म प्रेमी, इतिहास में रुचि रखने वाले अध्येता, पाठकगण, साहित्यकार, लेखक,पत्रकार व दून पुस्तकालय एवं शोध केंद्र के युवा पाठक सहित अनेक लोग मौजूद रहे।

हिन्दुस्थान समाचार/राजेश

/रामानुज