विश्व फलक पर शुमार होगा उत्तराखंड का सरनौल-सूतड़ी-सरूताल, देश-दुनिया को रिझाएगी प्राकृतिक सुंदरता

 


- सरूताल को ट्रैक ऑफ द ईयर घोषित किए जाने से क्षेत्रीय लोगों में खुशी की लहर

- दो सितंबर को पहला जत्था होगा रवाना, 150 ट्रैकर्स लेंगे हिस्सा, सरकार देगी सब्सि​डी

देहरादून/उत्तरकाशी, 25 अगस्त (हि.स.)। उत्तराखंड शासन ने सरबडियार सरनौल-सूतड़ी-सरूताल लगभग 26 किमी लंबे ट्रैक को ट्रैक ऑफ द ईयर घोषित किया है। दो सितंबर को पहला जत्था रवाना होगा। इसमें 150 ट्रैकर्स हिस्सा लेंगे। ट्रैक ऑफ द ईयर घोषित किए जाने से सरबडियार सरनौल-सूतड़ी-सरूताल पर्यटन स्थल विश्व पर्यटन मानचित्र पर शुमार होगा। यहां की प्राकृतिक सुंदरता देश-दुनिया को रिझाएगी। पर्यटकों की आमद बढ़ने से रोजगार के द्वार खुलेंगे और उत्तराखंड की आर्थिकी बढ़ेगी।

समुद्रतल से लगभग 4000 मीटर की ऊंचाई पर स्थित सरूताल को ट्रैक ऑफ द ईयर घोषित किए जाने से क्षेत्रीय लोगों में खुशी की लहर है।

बता दें कि सरबडियार सरनौल सूतड़ी-सरूताल ट्रैक को क्षेत्रीय लोगों की मांग पर पर्यटन विभाग ने ट्रैक ऑफ द ईयर घोषित किया है। आगामी दो सितंबर को पहला दल रवाना होगा। साहसिक खेल अधिकारी मो. अली खान ने बताया कि शासन के निर्देश पर सरूताल के लिए दो सितंबर को पहला दल रवाना किया जाएगा। इस ट्रैक पर पहुंचने वाले पहले 150 ट्रैकर्स को प्रदेश सरकार की ओर से 2000 की सब्सिडी दी जाएगी। 30 नवंबर तक पहले पहुंचने वाले 150 ट्रैकर्स को सब्सिडी दी जाएगी। उन्हें टी-शर्ट और कैप भी उपलब्ध करवाई जाएगी।

उल्लेखनीय है कि क्षेत्र के लोग सरूताल को विकसित करने और इस पर्यटक स्थल को पर्यटन के मानचित्र पर लाने की मांग कर रहे हैं, ताकि देश-विदेश से आने वाले ट्रैकिंग के शौकीन यहां पहुंच सकें। अकेले सरूताल के आसपास पांच और ताल हैं। नमें बकरिया ताल, रतेड़ी ताल आदि शामिल हैं। इसके लिए क्षेत्र का एक शिष्टमंडल मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से मिला था।

सरूताल में वनपरियां करती हैं स्नान

यूं तो देवभूमि के कण-कण में भगवान का वास है। धार्मिक महत्व और पूरे राज्य में फैले तीर्थस्थलों सहित असंख्य हिंदू मंदिरों के कारण उत्तराखंड को आमतौर पर 'देवभूमि' कहा जाता है। उत्तराखंड के हिमालय, भाबर और तराई क्षेत्र अपनी प्राकृतिक सुंदरता के लिए प्रसिद्ध है। इनमें से एक सरूताल बुग्याल भी जहां आक्षरी मात्री (वनपरियां) ब्रह्ममुहूर्त में स्नान कर नृत्य करती हैं। सरनौल क्षेत्र के भेड़पालकों की मान्यताएं हैं कि इस पवित्र झील में वनपरियां ब्रहमूहूर्त में स्नान करती हैं। यहां पहुंचने के लिए राजधानी देहरादून से लगभग 120 किलोमीटर के बाद बड़कोट शहर पड़ता है। बड़कोट से 40 किलोमीटर पक्की सड़क मार्ग से महज डेढ़ घंटे में सरनौल गांव पहुंचा जा सकता है। सरनौल में प्राचीन रेणुका मंदिर है, जो सिद्धपीठ है। सरनौल एक अति रमणिक स्थान है। यहां का स्थानीय भोजन पंच सितारा होटल के खाने को मात देता है।

सरनौल सरूताल ट्रैक का बेस कैंप है। यहां से घोड़े खच्चर, गाइड सब मिल जाते हैं। सरनौल गांव से लगभग के लिए वाहन और उसके बाद 10 किमी पैदल दूरी तय कर सूतड़ी पहंचते हैं। जहां रात्रि विश्राम कर अगले दिन भुजलाताल होते हुए फांचो कांडी होते हुए सरूताल पहुंचा जाता है। यहां पर उच्च हिमालयी क्षेत्र की ऊंची चोटियों के साथ बरसात में घने कोहरे के बीच ब्रह्मकमल से घिरी घाटी बहुत ही खूबसूरत लगती हैं।

हिन्दुस्थान समाचार / कमलेश्वर शरण / वीरेन्द्र सिंह