देश-दुनिया में हाेगी उत्तराखंड भाषा संस्थान की अलग पहचान : पुष्कर सिंह धामी
- हिन्दी, पंजाबी, उर्दू व लोकभाषा को एक छत के नीचे ले आई भाषा संस्थान
देहरादून, 21 फरवरी (हि.स.)। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि बोली-भाषा, संस्कृति, संस्कार का सम्मान न करने वाले अपनी पहचान खो देते हैं। बोली-भाषा और संस्कृति की शुरूआत खुद के साथ घर से ही करना होगी, ताकि भावी पीढ़ी भी इसे जान सके और अपना सके। घरों में अपनी भाषा में बाेलना चाहिए। आम बोलियों का भी प्रयोग किया जाना चाहिए। भाषा संस्थान विद्वानों से चर्चा कर भाषा-बोली व संस्कृति के संरक्षण-संवर्धन एवं विकास के लिए प्रयासरत है। भाषा संस्थान उत्तराखंड को नई पहचान दिलाएगा और भाषा संस्थान की पहचान देश ही नहीं, पूरी दुनिया में होगी।
मुख्यमंत्री धामी उत्तराखंड भाषा संस्थान देहरादून की ओर से सर्वे चौक स्थित आईआरडीटी सभागार में बुधवार को आयोजित उत्तराखंड साहित्य गौरव सम्मान-2023 समारोह को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि सरकार भाषा संस्थान के जरिए हिंदी, पंजाबी, उर्दू व लोकभाषा को एक छत के नीचे ले आई है और भाषा संस्थान के विकास के लिए प्रयासरत है। मुख्यमंत्री ने साहित्यकारों, भाषा विदों और शोधकर्ताओं से भाषा संस्थान के लिए योगदान मांगा।
साहित्य व बोली-भाषाओं को आगे बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका भाषा संस्थान-
भाषा संस्थान साहित्य व बोली-भाषाओं को आगे बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। इससे प्रदेश में स्थानीय भाषाओं के साथ बोली और साहित्य को प्रोत्साहन मिलेगा। उत्तराखंड की पहचान आज ऐसे राज्य के रूप में है, जहां भाषा और साहित्य की सेवा करने वाली अनेक विभूतियाें ने जन्म लिया है। इन्होंने धरती से आसमान को छूने का काम किया है। उत्तराखंड साहित्य के साथ हिंदी को भी समृद्ध किया है। इसको पहचान देने में योगदान दिया है।
देश को दिशा देने का काम करेगा समान नागरिक संहिता-
समान नागरिक संहिता पर मुख्यमंत्री ने कहा कि यह किसी के खिलाफ नहीं है। जाति-धर्म, समुदाय सबको समान अधिकार देगा। इसमें महिला सशक्तिकरण, बुजुर्गों की सुरक्षा के साथ बच्चों के भविष्य की चिंता भी है। जैसे मां गंगा यहां से निकलती हैं और पूरे देश को अभिसिंचित करती हैं। उसी प्रकार समान नागरिक संहिता भी उत्तराखंड से निकला है। यह भी पूरे देश को दिशा देने का काम करेगा।
माॅडल की ओर बढ़ रहा उत्तराखंड-
उत्तराखंड मॉडल की ओर बढ़ रहा है। देश-दुनिया में उत्तराखंड की अलग पहचान है। उत्तराखंड के लोग दुनिया में किसी भी स्थान पर रह रहे हैं, लेकिन उन्होंने अपनी संस्कृति को नहीं भूला है। उत्तराखंड आगे बढ़ता है तो सात समंदर पार रहने वाले भी खुश होते हैं और गर्व महसूस करते हैं। उत्तराखंड की टोपी की तो दुबई तक पहचान है। इस प्रकार राज्य को हर क्षेत्र में पहचान मिल रही है। ज्ञान-विज्ञान के साथ अन्य चीजों में भी उत्तराखंड आगे बढ़ेगा।
हिन्दुस्थान समाचार/कमलेश्वर शरण/रामानुज