केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र बोले, आग वनस्पतियों और जीवों को ही नहीं समुदायों की आजीविका को भी करती है प्रभावित, मिलकर करना होगा काम
-भारत ने राष्ट्रीय वन प्रमाणन योजना शुरू की
-यूएनएफएफ में 40 देशों और 20 अंतरराष्ट्रीय संगठनों से 80 से अधिक प्रतिनिधि ले रहे हैं हिस्सा
देहरादून, 26 अक्टूबर (हि.स.)। केंद्रीय पर्यावरण,वन और जलवायु परिवर्तन, श्रम और रोजगार मंत्री भूपेन्द्र यादव ने देहरादून में आयोजित एक कार्यक्रम को वीडियो के माध्यम से संबोधित करते हुए कहा कि जंगल की आग न केवल वनस्पतियों और जीवों को बल्कि समुदायों की आजीविका को भी प्रभावित करती है। इसके लिए भविष्य में एक स्थायी समाधान निकालने के लिए मिलकर काम करने होगा, जो न्यायसंगत और लचीला हो।
गुरुवार को अनुसंधान संस्थान (एफआरआई) देहरादून में संयुक्त राष्ट्र फोरम ऑन फॉरेस्ट (यूएनएफएफ) कार्यक्रम में केंद्रीय रोजगार मंत्री भूपेन्द्र यादव ने अपने वीडियो संदेश में यह बातें कहीं। इस दौरान उन्होंने कहा कि जंगल की आग न केवल वनस्पतियों और जीवों को अपूरणीय क्षति पहुंचाती है, बल्कि वन परिधि पर रहने वाले समुदायों की आजीविका को भी प्रभावित करती है।
केंद्रीय मंत्री यादव ने कहा कि भारत ने इन चुनौतियों से निपटने के लिए अपनी राष्ट्रीय वन प्रमाणन योजना शुरू की है। उन्होंने सभी प्रतिभागियों से एक स्थायी भविष्य बनाने के लिए मिलकर काम करने का आह्वान किया जो न्याय संगत और लचीला हो। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि वनों की स्थिरता को बढ़ावा देने के लिए वन प्रमाणीकरण एक महत्वपूर्ण उपकरण है, जो फिर भी, विकासशील देशों में छोटे पैमाने के उत्पादकों के लिए विशेष रूप से कई चुनौतियां प्रस्तुत करता है।
इस मौके पर प्रदेश के वन, भाषा और तकनीकी शिक्षा मंत्री सुबोध उनियाल ने सभी प्रतिनिधियों का देवभूमि, उत्तराखंड राज्य में आने पर स्वागत किया। उन्होंने कहा कि जंगल की आग की घटनाओं को कम करने के लिए राज्य सरकार प्रदेश में काम कर रही है।
इसके लिए जंगलों के करीब रहने वाले समुदायों को सशक्त बनाना और उन्हें वन विभागों के साथ मिलकर काम करने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है। पारंपरिक ज्ञान, प्रौद्योगिकी नवाचार और सामुदायिक जुड़ाव प्रथाओं के मंच पर आदान-प्रदान करने से सभी को लाभ होगा।
यूएनएफएफ निदेशक जूलियट बियाओ कौडेनौकपो ने कहा कि जंगल की आग का मुद्दा एक वैश्विक चिंता के रूप में बन गया है। पारिस्थितिक तंत्र और समुदायों पर उनका हानिकारक प्रभाव पड़ रहा है। स्थायी विषय और व्यावहारिक समाधान अब समय की मांग हैं। पारिस्थितिकी तंत्र पर जंगल की आग का प्रभाव और हितधारकों की चुनौतियों पर ध्यान देने की आवश्यकता है।
भारत सरकार के पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने 26-28 अक्टूबर 2023 तक वन अनुसंधान संस्थान (एफआरआई) देहरादून में वनों पर संयुक्त राष्ट्र फोरम (यूएनएफएफ) की मेजबानी के लिए पहल की है। 40 देशों से 80 से अधिक प्रतिनिधि भाग ले रहे हैं और 20 अंतरराष्ट्रीय संगठन, व्यक्तिगत और ऑनलाइन दोनों, कार्यक्रम में भाग ले रहे हैं। जिनमें खाद्य और कृषि संगठन (एफएओ) और अंतरराष्ट्रीय वन अनुसंधान संगठन (आईयूएफआरओ) के साथ-साथ प्रतिनिधि और संगठन भी शामिल हैं। सीएलआई दो विषयगत क्षेत्रों पर केंद्रित है, जंगल की आग/और आग प्रभावित क्षेत्रों में इसकी रोकथाम और बहाली पर सर्वोत्तम अभ्यास, और वन प्रमाणन और टिकाऊ वन प्रबंधन।
हिन्दुस्थान समाचार/राजेश/रामानुज