यूसीसी समय की मांग : मुफ्ती शमून
देहरादून, 10 मार्च (हि.स.)। मदरसा बोर्ड के अध्यक्ष मुफ्ती शमून कासमी मानते हैं कि समान नागरिक संहिता (यूसीसी) समय की मांग है।
रविवार को विशेष बातचीत के दौरान भाजपा प्रदेश मुख्यालय में मुफ्ती शमून कासमी ने कहा कि उत्तराखंड सरकार द्वारा लाया गया समान नागरिक संहिता कानून यूसीसी इस्लाम के विरुद्ध नहीं है। उन्होंने स्पष्ट किया कि धार्मिक कुरीतियों पर प्रहार कर उनको और प्रभावी बनाने के लिए यह कानून लाया गया है। उन्होंने कहा कि हलाला और तीन तलाक जैसी कुरीतियां कभी भी इस्लाम पंथ का हिस्सा नहीं रही हैं। इसी तरह बहुविवाह प्रथा भी इस्लाम का अनिवार्य हिस्सा नहीं है।
मुफ्ती शमून ने कहा कि हम सबको यह सोचना चाहिए कि भारत ही एक ऐसा राष्ट्र है जहां मुस्लिम समाज को बराबरी के दर्जे से भी ऊपर रखा गया था। उन्हें अल्पसंख्यक का दर्जा दिया गया था और अल्पसंख्यकों की दृष्टि से उन्हें हर सुविधाएं दी जा रही हैं। अब जब हमें समान नागरिक संहिता यूसीसी के बारे में जानकारी दी जा रही है तो उस पर अनावश्यक रूप से टीका-टिप्पणी करना और उन्हें तूल देना उचित नहीं है। यह हमारा सौभाग्य है कि विदेशों की तर्ज पर भारत में अल्पसंख्यकों के विरुद्ध कोई कठोर कार्रवाई नहीं होती।
फिलहाल मेरा सभी मुस्लिम सजा के लोगों से आग्रह है कि यूसीसी के नाम पर भड़काने वालों से बचें और अपने मन में भ्रांति और धारणा न बनाए कि यूसीसी से उनका कुछ नुकसान होना है। यह हमें समान नागरिक बनने का अवसर प्रदान करने वाली व्यवस्था है। इसका हमें आगे बढ़कर स्वागत करना चाहिए।
हिन्दुस्थान समाचार/ साकेती/रामानुज