संत समागम से ही मानव जीवन को सफल बनाने में सहायक होता है : सतपाल महाराज

 




हरिद्वार, 15 अप्रैल (हि.स.)। सत्संग एक ऐसा सरोवर है जहां पर डुबकी लगाने से जीव का कल्याण होता है। जीव जब एकाग्रचित्त होकर परमात्मा की ओर अग्रसर होता है तो उसके हृदय में सद्भावना, आपसी भाईचारा और सहिष्णुता उत्पन्न होने लगती है, जिससे उसके जीवन में परिवर्तन आता है। संतसमागम से ही मानव जीवन को सफल बनाने में सहायक होता है।

ये उद्गार मानव उत्थान सेवा समिति और श्री प्रेमनगर आश्रम के तत्वावधान में आयोजित तीन दिवसीय सद्भावना सम्मेलन के समापन पर आध्यात्मिक गुरु सतपाल महाराज ने व्यक्त किये। उन्होंने कहा कि साधु संतों का जो सानिध्य अपने आप में एक तीर्थ के समान है, जहां व्यक्ति अपने आप को पूरी तरह समर्पित कर देता है। जब तक हम पूर्ण रूपेण समर्पित अपने आपको नहीं करेंगे, जब तक हम हृदय को खोल करके सत्संग नहीं सुनेंगे, समर्पण नहीं करेंगे, तब तक भक्ति का मर्म समझ में नहीं आएगा।

उन्होंने कहा गुरु के बिना ज्ञान नहीं होता। इसलिए भगवान श्री कृष्ण को संदीपनि ऋषि के पास जाना पड़ा, भगवान श्री राम को वशिष्ठ जी और विश्वामित्र जी के पास जाना पड़ा, विश्वामित्र जी ने ज्ञान देने का काम किया। सद्गुरु ही ज्ञान देकर जीव को भक्ति मार्ग में प्रशस्त करते हैं।

इस अवसर पर अमृता जी ने कहा कि हमें अगर संसार रूपी भवसागर को पार करना है तो हमारी एक ही निष्ठा, एक ही भक्ति, एक ही भाव और एक ही आस्था अपने गुरु महाराज के प्रति होनी चाहिए। अगर हमारी निष्ठा पूर्णरूप से, तन-मन-धन से समर्पित हैं और गुरु महाराज जी के प्रति हमारी अगाध श्रद्धा, भक्ति और आस्था है तो हम सब इस संसार रूपी भवसागर को पार कर सकते हैं। मंच संचालन महात्मा श्री हरिसंतोषानंद ने किया।

हिन्दुस्थानसमाचार/रजनीकांत/रामानुज