अध्यात्म से ही मानव का ह्रदय परिवर्तित हो सकता है : सतपाल जी महाराज

 




हरिद्वार, 20 सितंबर (हि.स.)। आध्यात्मिक गुरु और मंत्री सतपाल महाराज के जन्मोत्सव पर प्रेमनगर आश्रम की ओर से सद्भावना सम्मेलन आयोजित किया गया। इस दौरान महाराज ने कहा कि अध्यात्म से ही मानव के हृदय का परिवर्तन संभव है। जब मानव का हृदय बदलेगा तो समाज में भाईचारा, सहिष्णुता, राष्ट्रीय एकता और अखंडता,सद्भावना आदि पल्लवित होगी।

आध्यात्मिक गुरु सतपाल महाराज ने बीएचईएल सेक्टर 4 के मैदान पर उपस्थित जनसमुदाय को संबोधित करते हुए कहा कि हमारा देश तो राम,कृष्ण का देश रहा है। हमारे देश में हमेशा अहिंसा की बात की गई है,शांति की बात की गई है। इसी राम कृष्ण के देश से बुद्ध, महावीर व अनेक संतों ने शांति की आवाज उठाई। अध्यात्मवाद की आवाज फिर से गुंजनी चाहिए, जिससे सारा भूमंडल सुख व शांति से आगे बढ़े।

उन्होंने कहा कि आज इस कलिकाल के अंदर, इस विषम परिस्थिति के अंदर एक भयानक विनाश का रोग लग गया है, इसका निदान केवल मात्र अध्यात्म ही है। आज का मानव केवल तबाही मचाने में लगा हुआ है।

महाराज ने कहा कि हम सभी देवभूमि की गोद में बैठकर सत्संग रूपी गंगा में गोता लगा रहे है। गंगा हिमालय से बहती है,यह धरती की धारा नहीं थी,यह स्वर्ग की धारा थी पर भागीरथ ने तपस्या की तो स्वर्ग की धारा को धरती पर ले आए। हम भी तपस्या करेंगे, हम भी कर्म करेंगे तो हम भी स्वर्ग को धरती पर ला सकते हैं, यही गंगा का संदेश है। इसलिए गंगा की भावना को समझो, मां गंगा से हमे प्रेरणा लेनी है और देश के विकास में अपना योगदान दें।

कार्यक्रम से पूर्व महाराज,माता श्रीअमृता व अन्य विभूतियों का माल्यापर्ण कर स्वागत किया गया और संत-महात्माओं ने अपने सार गर्भित विचार रखे।

कार्यक्रम में देश-विदेश से सैकड़ों की संख्या में भक्तगणों ने पहुंच कर महाराज के प्रवचन और दर्शनों का लाभ उठाया। मंच संचालन महात्मा हरिसंतोषानंद ने किया।

हिन्दुस्थान समाचार / डॉ.रजनीकांत शुक्ला