बाबा नीब करौरी: जिनकी कृपा से बदली कई हस्तियों की किस्मत

 


नैनीताल, 14 जून (हि.स.)। उत्तराखंड के नैनीताल जिले में स्थित बाबा नीब करौरी महाराज के आश्रम कैंची धाम को आध्यात्मिक मान्यताओं का केंद्र माना जाता है। बाबा की महिमा केवल भारत में ही नहीं, बल्कि दुनिया भर में फैली हुई है। लाखों लोग उन्हें अपना गुरु मानते हैं। यहां हर साल बड़ी संख्या में उनके अनुयायी पहुंचते हैं और बाबा की याद में ध्यान मग्न होते हैं।

फेसबुक के संस्थापक मार्क जुकरबर्ग, ऐप्पल के संस्थापक स्टीव जॉब्स औऱ प्रसिद्ध क्रिकेटर विराट कोहली के अलावा कई दिग्गजों के कैंची धाम पहुंचने तथा उनके जीवन को बदलने वाले अनुभवों की कहानियां प्रसिद्ध हैं।

मात्र 17 वर्ष की आयु में प्राप्त किया ज्ञान

बाबा जी का वास्तविक नाम लक्ष्मण दास शर्मा था। उनका जन्म आगरा के निकट फिरोजाबाद जिले के अकबरपुर में जमींदार घराने में मार्गशीर्ष माह की अष्टमी तिथि को हुआ था। बताया जाता है कि उनका 11 वर्ष की उम्र में विवाह हो गया था। इसके बाद बाबा जी ने जल्दी ही घर छोड़ दिया और करीब 10 वर्षों तक घर से दूर रहे। कहा जाता है कि उन्हें मात्र 17 वर्ष की आयु में ज्ञान प्राप्त हो गया था।

कई नामों से जाने गए

गुजरात के बवानिया मोरबी में बाबा जी ने साधना की और वे वहां ‘तलैया वाले बाबा’ के नाम से मशहूर हो गए और वृंदावन में वे ‘महाराज जी’ व ‘चमत्कारी बाबा’ के नाम से भी जाने गए। उनको ‘लक्ष्मण दास’, ‘हांड़ी वाला बाबा’, ‘तिकोनिया वाले बाबा’ व भगवान जी व महाराज जी आदि नामों से भी जाना जाने लगा।

जब नहीं चली ट्रेन

कहते हैं कि एक दिन बाबा नीब करौरी नाम के स्थान पर स्टेशन से कुछ दूर आगे चल रहे मेला स्थल तक पहुंचने के लिये ट्रेन में बिना टिकट के चढ़ गये थे। इस पर रेलगाड़ी के टीटी ने उन्हें ट्रेन से उतार दिया। इस पर उन्होंने अपना चिमटा वहीं गाड़ दिया। इसके बाद ट्रेन लाख प्रयत्नों के बावजूद यहां से चल नहीं सकी। बाद में बाबा की महिमा जान रेलकर्मियों ने उन्हें आदर सहित वापस ट्रेन में बैठाया, जिसके बाद बाबा के ‘चल’ कहने पर ही ट्रेन चल पड़ी।

बाबा के नाम का हो रहा गलत उच्चारण

यह भी कहते हैं कि फर्रुखाबाद जिले के इसी नीब करौरी गांव में ही वह सर्वप्रथम साधू के रूप में दिखाई दिए थे, इसलिए उन्हें ‘नीब करौरी’ बाबा कहा गया, लेकिन अब उनके कैंची धाम की देश-दुनिया में अत्यधिक ख्याति के बावजूद लोग उनका नाम ‘नीम-करेला’ शब्द से संभवतया मिलता-जुलता होने के कारण ‘नीम करौली’ बाबा के रूप में गलत उच्चारण भी कर रहे हैं।

हिन्दुस्थान समाचार/डॉ. नवीन जोशी/सत्यवान/वीरेन्द्र