त्याग और तपस्या की प्रतिमूर्ति थे स्वामी कैवल्यानंद सरस्वती : विश्वेश्वरानंद
हरिद्वार, 28 दिसंबर (हि.स.)। हरिद्वार के पुराने आश्रमों में शुमार श्री सूरत गिरि बंगला गिरिशानंद आश्रम में आज आश्रम के कोठारी ब्रह्मलीन स्वामी कैवल्यानंद सरस्वती महाराज की पुण्यतिथि पर संतों और उनके भक्तों ने श्रद्धासुमन अर्पित कर उन्हें श्रद्धांजलि दी।
श्रद्धांजलि समारोह की अध्यक्षता करते हुए श्री सूरत गिरि बंगला के परमाध्यक्ष महामण्डलेश्वर आचार्य स्वामी विश्वेश्वरानंद गिरि महाराज ने स्वामी कैवल्यानंद सरस्वती महाराज को तपस्वी संत बताते हुए कहाकि वे तप और त्याग की प्रतिमूर्ति थे। उन्होंने बंगले के उन्नयन के लिए काफी कार्य किया। संत और गौ सेवा उन्हें प्रिय थी। ऐसे महापुरूषों का हमें सानिध्य प्राप्त हुआ है। इस कारण हम सब भाग्यशाली हैं।
आश्रम के कोठारी स्वामी उमानंद गिरि महाराज ने आए हुए सभी संतों व अतिथियों का स्वागत करते हुए स्वामी कैवल्यानंद सरस्वती महाराज को अपने श्रद्धासुमन अर्पित किए। इससे पूर्व प्रातः स्वामी कैवलयानंद सरस्वती महाराज के विग्रह का पूजन किया गया। तत्पश्चात हवन व भजन कीर्तन तथा भंडारे का आयोजन हुआ।
श्रद्धांजलि सभा में स्वामी उमानंद गिरि,, स्वातमी ब्रह्मानंद तीर्थ, महामण्डलेश्वर स्वामी ललितानंद गिरि, महामण्डलेश्वर स्वामी शारदा गिरि, महामण्डलेश्वर स्वामी गायत्री गिरि, स्वामी अरूणदास, महामण्डलेश्वर स्वामी जयदेवानंद सरस्वती, महामण्डलेश्वर स्वामी आनन्द चैतन्य, स्वामी कृष्णा नंद गिरि, स्वामी रामानंद गिरि, स्वामी दुर्गादास महाराज, स्वामी कमलानंद गिरि समेत तमाम संत व भक्तजन उपस्थित रहे।
हिन्दुस्थान समाचार / डॉ.रजनीकांत शुक्ला