शिक्षा, स्वतंत्रता, धर्मरक्षा में स्वामी श्रद्धानंद की भूमिका ऐतिहासिक: आदित्यवेश

 


हरिद्वार, 23 दिसंबर (हि.स.)। स्वामी श्रद्धानंद के 99वें बलिदान दिवस की पूर्णता के अवसर पर कार्यक्रम का शुभारंभ यज्ञ के साथ हुआ और भव्य शोभायात्रा निकाली गई। इस मौके पर स्वामी श्रद्धानंद को भारत रत्न देने की मांग केंद्र सरकार से की गई।

यज्ञोपरांत स्वामी यतिश्वरानंद एवं स्वामी आदित्यवेश ने ध्वजारोहण किया। इसके पश्चात गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय, स्वामी दर्शनानंद महाविद्यालय, कांगड़ी फार्मेसी तथा हरिद्वार जिला सभा से जुड़े आर्यजनों द्वारा भव्य शोभायात्रा निकाली गई, जो सिंहद्वार पहुंचकर एक सभा में परिवर्तित हो गई।

सभा को संबोधित करते हुए स्वामी यतिश्वरानंद ने कहा कि लार्ड मैकाले की औपनिवेशिक शिक्षा पद्धति को चुनौती देते हुए स्वामी श्रद्धानंद ने आर्ष शिक्षा पद्धति की पुनर्स्थापना की। उन्होंने घोषणा की कि स्वामी श्रद्धानंद के बलिदान के 100 वर्ष पूर्ण होने के अवसर पर हरिद्वार में एक भव्य अंतरराष्ट्रीय आर्य महासम्मेलन आयोजित किया जाएगा, जिसमें देश-विदेश से एक लाख से अधिक आर्यजन श्रद्धांजलि अर्पित करने हेतु एकत्र होंगे।

स्वामी आदित्यवेश ने कहा कि आर्ष शिक्षा पद्धति, स्वतंत्रता आंदोलन तथा धर्मरक्षा अभियान में स्वामी श्रद्धानंद की भूमिका ऐतिहासिक रही है। उन्होंने केंद्र सरकार से मांग की कि स्वामी श्रद्धानंद को मरणोपरांत भारत रत्न से सम्मानित किया जाए।

इस अवसर पर उत्तराखंड संस्कृत विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. दिनेशचंद्र शास्त्री, बिजेंद्र शास्त्री, कांगड़ी फार्मेसी के मैनेजर अंनत पिल्लई, जीतेद्र वर्मा, हुक्म चंद, हाकम सिंह आर्य रुड़की, बृजेश, सिंह वेदपाल सहित अनेक गणमान्य विद्वान, आर्य समाज के पदाधिकारी एवं बड़ी संख्या में श्रद्धालु उपस्थित रहे।

हिन्दुस्थान समाचार / डॉ.रजनीकांत शुक्ला