ऋषिकेश का नया ट्रैकिंग मार्ग : रेड राइडर साइकिलिंग समुदाय का प्रकृति संरक्षण के प्रति एक कदम
ऋषिकेश, 28 नवम्बर (हि.स.)। ऋषिकेश के पास एक नया और मनमोहक 16 किलोमीटर लंबा ट्रैकिंग मार्ग, जो कोटली भेल पहाड़ी से होकर गुजरता है। इसे हाल ही में विकसित किया गया है, जिससे स्थानीय पर्यटन में एक नई जान फूंकी गई है। यह ट्रैक पौड़ी गढ़वाल के जिलाधिकारी डॉ. आशीष चौहान के निर्देशों के बाद विकसित किया गया, जिसने न सिर्फ पर्यटन के क्षेत्र में बल्कि प्रकृति संरक्षण के प्रति भी एक नई सोच प्रस्तुत की है।
रेड राइडर साइक्लिंग कम्युनिटी के 10 सदस्यों ने इस ट्रैक पर एक यादगार यात्रा की, जिसमें डॉ. अपूर्व त्रिवेदी, देवेंद्र राजपूत, डॉ. नीति गुप्ता, नीरज शर्मा, विपिन शर्मा, राजेश सूद, विक्रम शेडगे, माधव सूद, डॉ. विजय, और डॉ. आनंद शामिल थे। इन सदस्यों ने इस नवनिर्मित ट्रैक के अन्वेषण के दौरान प्राकृतिक सुंदरता और उसके संरक्षण पर विशेष जोर दिया।
इस अवसर पर, रेड राइडर साइक्लिंग समुदाय के सदस्यों ने डॉ. आशीष चौहान को इस नवीन पहल के लिए धन्यवाद दिया। उन्होंने इस नई पहल की प्रशंसा करते हुए, भविष्य के ट्रैकर्स से इस क्षेत्र की स्वच्छता बनाए रखने और इसकी पवित्रता का सम्मान करने की अपील भी की। उनका मानना है कि प्रकृति के प्रति सम्मान और संरक्षण हमारी साझा जिम्मेदारी है।
इस ट्रैक को लोनिवि ने गरतांग गली की तर्ज पर विकसित किया गया है। इसके निर्माण की शुरुआत फरवरी में हुई थी। इस ट्रैक का विकास न केवल पर्यटकों को एक नया अनुभव प्रदान करता है, बल्कि स्थानीय युवाओं के लिए रोजगार के अवसर भी बढ़ाता है। इसका इतिहास भी काफी रोचक है, जो ब्रिटिश शासनकाल में इस पर पैदल यात्रा तक जाता है।
इस ट्रैक तक पहुंचने के लिए, ऋषिकेश से बदरीनाथ हाईवे पर महादेवचट्टी धार तक जाना होगा, और वहां से पैदल गंगा नदी की ओर उतरकर झूला पुल पार करने के बाद रामपाटी होते हुए कोटली भेल ट्रैकिंग रूट तक पहुंचा जा सकता है।
रेड राइडर्स ऋषिकेश साइक्लिंग कम्युनिटी का यह ट्रेक उत्तराखंड को स्वच्छ रखने और गंगा नदी की पवित्रता को संरक्षित करने का एक संदेश देता है। इस तरह की सप्ताहांत यात्रा गतिविधियां, शरीर और मन को स्वस्थ रखने का एक उत्कृष्ट तरीका हैं, जो आज के व्यस्त कार्यक्रम और काम के तनाव के युग में बेहद आवश्यक है। इन गतिविधियों के माध्यम से न केवल व्यक्तिगत स्वास्थ्य को बढ़ावा मिलता है, बल्कि ये हमें प्राकृतिक सौंदर्य की सराहना करने और उसके संरक्षण के महत्व को समझने का भी अवसर प्रदान करती हैं।
हिन्दुस्थान समाचार/ विक्रम
/रामानुज