चारधाम यात्रा को लेकर जिले तैयार, दो मई को मॉक ड्रिल
- जलवायु परिवर्तन के चलते चुनाैती बन रहीं अप्रत्याशित आपदाएं
- चुनाैतियों से निपटने के लिए विभिन्न एजेंसियां करेंगी पुख्ता इंतजाम
देहरादून, 30 अप्रैल (हि.स.)। राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एनडीएमए) के सदस्य ले. जनरल सैय्यद अता हसनैन (अप्रा) ने कहा कि जलवायु परिवर्तन के चलते अप्रत्याशित आपदाएं लगातार चुनौती बनती जा रही हैं। इनका पूर्वानुमान लगा पाना भी मुश्किल है। फरवरी 2021 में चमोली जिले में ग्लेशियर टूटने से ऋषिगंगा में आई बाढ़ इसका उदाहरण है। ऐसी घटनाओं से निपटने के लिए विभिन्न एजेंसियों को आपसी समन्वय स्थापित कर पहले से ही पुख्ता तैयारी करनी होगी।
आपदा प्रबंधन की दृष्टि से आगामी चारधाम यात्रा की तैयारियों को लेकर राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एनडीएमए) और उत्तराखंड राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (यूएसडीएमए) की ओर से मंगलवार को आयोजित टेबल टॉप एक्सरसाइज में ले. जनरल सैय्यद अता हसनैन ने कहा कि चारधाम यात्रा से जुड़े जनपदों में आगामी दो मई को मॉक ड्रिल किया जाएगा। इसका उद्देश्य चारधाम यात्रा की तैयारियों को पुख्ता करना है, ताकि यात्रा में किसी तरह का व्यवधान न आए और हादसों में जान-माल के नुकसान को कम किया जा सके।
उत्तराखंड और जम्मू-कश्मीर एक मंच पर साझा करे अनुभव
उन्होंने कहा कि उत्तराखंड में इन दिनों जंगलों की आग ने चिंता बढ़ा रखी है। एनडीएमए लगातार इन घटनाओं पर नजर बनाए हुए है और यूएसडीएमए के लगातार संपर्क में है। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड की चारधाम यात्रा और जम्मू-कश्मीर की अमरनाथ यात्रा प्रमुख धार्मिक यात्राएं हैं। उन्होंने सुझाव दिया कि उत्तराखंड और जम्मू-कश्मीर को एक मंच पर आकर धार्मिक यात्राओं को आयोजित करने के अनुभवों को साझा करना चाहिए, ताकि और अच्छे ढंग से इन यात्राओं का संचालन किया जा सके।
आपदा मित्रों की मदद
इंडियन कोस्ट गार्ड के पूर्व डीजी तथा एनडीएमए के सदस्य राजेंद्र सिंह ने कहा कि आपदाओं से निपटने के लिए सभी विभागों के बीच आपसी सामंजस्य होना जरूरी है। चारधाम यात्रियों को सभी जरूरी जानकारियां दी जानी चाहिए। सभी संबंधित विभागों को एसओपी बनानी चाहिए, ताकि उनका पालन कर तीर्थयात्री एक सुरक्षित माहौल में अपनी यात्रा कर सकें। उन्होंने तीर्थयात्रियों की सहायता के लिए आपदा मित्रों की मदद लेने की बात कही।
आस्था के साथ तीर्थाटन-पर्यटन और आर्थिकी का आधार है चारधाम
आपदा प्रबंधन एवं पुनर्वास तथा यूएसडीएमए के सचिव डॉ. रंजीत कुमार सिन्हा ने कहा कि उत्तराखंड के लिए चारधाम यात्रा का महत्व काफी बड़ा है। यह आस्था के साथ तीर्थाटन-पर्यटन और आर्थिकी का आधार भी है। यूएसडीएमए का उद्देश्य चारधाम यात्रा को पूरी तरह से सुरक्षित बनाना है। इन्हीं तैयारियों को दो मई को प्रस्तावित मॉक ड्रिल के जरिए परखा जाएगा। अगर कहीं कोई समस्या रहेगा तो तुरंत उसे दूर किया जाएगा।
शैडो एरिया में नेटवर्क करें मजबूत, बेहतर समन्वय के लिए बीआरओ की हो तैनाती
आपदा प्रबंधन सचिव डॉ. रंजीत कुमार सिन्हा ने बीएसएनएल को निर्देश दिए कि चारधाम यात्रियों की सुविधा तथा किसी आपात स्थिति से निपटने के लिए शैडो एरिया, जहां नेटवर्क या कनेक्टिविटी की दिक्कत है वहां इसका समाधान किया जाए। उन्होंने बीआरओ के प्रतिनिधियों से कहा कि जोशीमठ स्थित ज्वाइंट कंट्रोल रूम में बेहतर समन्वय के लिए बीआरओ से किसी कर्मचारी की तैनाती की जाए। बीआरओ, एनएच, लोक निर्माण विभाग आदि विभागों को स्पष्ट होना चाहिए कि सड़क का कौन-सा हिस्सा किसके पास है, ताकि रोड ब्लॉक होने पर भ्रम की स्थिति न रहे।
चारधाम यात्रा की तैयारियों को लेकर पेश किया प्लान
टेबल टॉप एक्सरसाइज में सभी जिलों ने आगामी चारधाम यात्रा को लेकर अपनी तैयारियों का खाका पेश किया। बीकेटीसी से रमेश रावत ने बताया कि यात्रा के सुगम संचालन के लिए भूतपूर्व सैनिकों तथा स्वयं सेवकों की सहायता ली जा रही है। सीडीओ चमोली अभिनव शाह ने बताया कि इस बार पांडुकेश्वर में ही यात्रियों का पंजीकरण और जांच की जा रही है। पहले यह बदरीनाथ धाम में ही होती थी, जिससे धाम में जाम की समस्या उत्पन्न हो जाती थी। इस बार व्यवस्था में परिवर्तन किया गया है। जनपद स्तर पर अफसरों ने चारधाम यात्रा की तैयारियों को लेकर अपना प्लान पेश किया।
जनपद स्तर पर परखी तैयारियां
टेबल टॉप एक्सरसाइज के जरिए एनडीएमए के वरिष्ठ सलाहकार मेजर जनरल सुधीर बहल ने चारधाम यात्रा को लेकर जिलों की तैयारियां परखी। उन्होंने यात्रा के दौरान भगदड़, चारधाम यात्रियों को मेडिकल इमरजेंसी, बस दुर्घटना, बाढ़, भूस्खलन, मौसम संबंधी अलर्ट मिलने पर कैसे राहत और बचाव कार्य किए जाएंगे, इसे लेकर जिलों की कार्ययोजना की समीक्षा की।
हिन्दुस्थान समाचार/कमलेश्वर शरण/संजीव