राष्ट्रीय पुस्तकाल दिवस : दून लाइब्रेरी में दिखा पुस्तकालयों की अदम्य भावना का प्रमाण
- पुस्तकालय एवं सूचना विज्ञान के जनक डॉ. सियाली राममृत रंगनाथन की मनाई 132वीं जयंती
देहरादून, 12 अगस्त (हि.स.)। सेंट्रल गवर्नमेंट लाइब्रेरी एसोसिएशन (सीजीएलए) और दून लाइब्रेरी एंड रिसर्च सेंटर (डीएलआरसी) ने सोमवार को डीएलआरसी के मल्टी एक्टिविटी ऑडिटोरियम में धूमधाम से राष्ट्रीय पुस्तकालय दिवस मनाया। साथ ही पुस्तकालय एवं सूचना विज्ञान के जनक डॉ. सियाली राममृत रंगनाथन की 132वीं जयंती मनाई गई। कार्यक्रम में 100 से अधिक पेशेवरों ने भाग लिया, जिन्होंने डॉ. रंगनाथन की विरासत को सम्मानित करते हुए पुस्तकालय पेशे के प्रति अपनी प्रतिबद्धता प्रकट किया।
राष्ट्रीय पुस्तकालय दिवस का यह उत्सव न केवल डॉ. रंगनाथन को एक श्रद्धांजलि थी बल्कि पुस्तकालयों की उस अदम्य भावना का भी प्रमाण था, जो उन्हें ज्ञान और संस्कृति के गढ़ के रूप में स्थापित करती है। राष्ट्रीय पुस्तकालय दिवस ने पुस्तकालयों को सीखने और समुदाय को एकजुट करने वाले केंद्र के रूप में विकसित करने के मिशन को जारी रखने के सामूहिक संकल्प को पुनः पुष्ट किया।
कार्यक्रम की शुरुआत दीप प्रज्जवलन के साथ हुई। इसके बाद भारतीय सैन्य अकादमी की हिमानी ने सरस्वती वंदना प्रस्तुति की। भारतीय सैन्य अकादमी के मनीष शर्मा ने वृत्तचित्र फिल्म के माध्यम से डॉ. एसआर रंगनाथन के जीवन और उनकी उपलब्धियों को संक्षेप में प्रस्तुत किया। दून लाइब्रेरी एंड रिसर्च सेंटर के निदेशक पूर्व मुख्य सचिव एन रविशंकर ने प्रतिनिधियों का स्वागत किया और उद्घाटन भाषण दिया। साथ ही दून लाइब्रेरी की महत्वपूर्ण भूमिका पर जोर दिया। उन्होंने सभी प्रतिभागियों से दून लाइब्रेरी एंड रिसर्च सेंटर के सुधार में योगदान देने की अपील की जिससे यह ज्ञान का एक ऐसा केंद्र बने, जो सभी के लिए सुलभ हो।
दून लाइब्रेरी एंड रिसर्च सेंटर के अध्यक्ष व सलाहकार डॉ. बीके जोशी ने लाइब्रेरी में हाल ही में किए गए सुधारों पर प्रकाश डाला। उन्होंने 30 नए कम्प्यूटर नोड्स का परिचय दिया, जो ई-लाइब्रेरी तक पहुंचने के लिए लगाए गए हैं। इससे राष्ट्रीय डिजिटल लाइब्रेरी (एनडीएल) और डेलनेट की सदस्यता के माध्यम से व्यापक संसाधनों तक सहज पहुंच हो सकेगी। इसके अलावा उन्होंने बच्चों के लिए एक विशेष खंड की शुरुआत की घोषणा की, ताकि समुदाय के सबसे छोटे सदस्य भी पढ़ने के प्रति अपने प्रेम को विकसित कर सकें। वरिष्ठ प्रोफेसर एएस खुल्लर ने पुस्तकों और पुस्तकालयों के अपूर्णीय महत्व पर सारगर्भित ढंग से विचार व्यक्त किए। उनकी बातों ने समाज में ज्ञान और संस्कृति को पोषित करने में पुस्तकालयों के गहरे प्रभाव को रेखांकित किया और उन्हें सीखने के केंद्र के रूप में देखा।
17-19 अक्टूबर को नई दिल्ली में होगा सम्मेलन
सेंट्रल गवर्नमेंट लाइब्रेरी एसोसिएशन के अध्यक्ष रमेश गोयल ने संघ की उपलब्धियों का संक्षिप्त विवरण दिया और आगामी अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन के विषय 'विरासत पर गर्व करना—विकसित भारत के लिए पुस्तकालय और पुरालेख' का अनावरण किया। यह सम्मेलन 17-19 अक्टूबर को इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र नई दिल्ली में आयोजित किया जाएगा।
लाइब्रेरी की सेवाओं को और अधिक लाभकारी बनाने के दिए सुझाव
कार्यक्रम में दून लाइब्रेरी एंड रिसर्च सेंटर के तीन नियमित पाठकों मीनाक्षी कुकरेती भारद्वाज, शाहेब नकवी और हिमानी डांगी ने भी पुस्तकालयों व पुस्तकों के महत्व पर अपने विचार साझा किए। उन्होंने लाइब्रेरी की सेवाओं को और अधिक लाभकारी बनाने के सुझाव भी दिए।
किताबों की दुनिया और ज्ञान के भंडार के रूप में प्रतिष्ठित हो चुका है डीएलआरसी
दून लाइब्रेरी एंड रिसर्च सेंटर के चंद्रशेखर तिवारी ने डीएलआरसी की उल्लेखनीय यात्रा को साझा किया, जो एक छोटे से कमरे से शुरू होकर अब चार मंजिला ज्ञान के भंडार के रूप में प्रतिष्ठित हो चुका है। उन्होंने लाइब्रेरी में आयोजित विभिन्न कार्यक्रमों का भी संक्षिप्त विवरण दिया।
दो प्रमुख पुस्तकालय अध्यक्ष उत्कृष्ट जीवन पर्यंत उपलब्धि पुरस्कार से सम्मानित
इस अवसर पर दो प्रमुख पुस्तकालयाध्यक्षों भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण नई दिल्ली से सेवानिवृत्त प्रो. (डॉ.) एसएन पांडेय व सीएसआईआर-सीबीआरआई रुड़की से प्रमुख तकनीकी अधिकारी के रूप में सेवानिवृत्त डॉ. सुसंता कुमार सेनापति को उत्कृष्ट जीवन पर्यंत उपलब्धि पुरस्कार से सम्मानित किया गया। उन्होंने पुस्तकालय पेशे के प्रति आजीवन समर्पण के महत्व पर जोर दिया और सेवानिवृत्ति के बाद भी सक्रिय रहने के लिए पुस्तकालयाध्यक्षों को प्रेरित किया।
प्रतिभागियों को प्रदान किए स्मृति चिन्ह
आईबीएसएनए के पूर्व निदेशक व वैली ऑफ वर्ड्स के संस्थापक आईएएस डॉ. संजीव चोपड़ा ने ज्ञानवर्धक और जागरूक समाज के निर्माण में पुस्तकालयों की महत्वपूर्ण भूमिका को रेखांकित किया। समापन से पहले डॉ. चोपड़ा ने प्रतिभागियों को स्मृति चिन्ह प्रदान किए। वहीं सेंट्रल गवर्नमेंट लाइब्रेरी एसोसिएशन के अध्यक्ष ने भी सभी को सम्मानित किया। डीएलआरसी के पुस्तकालय अध्यक्ष जेबी गोयल ने धन्यवाद ज्ञापन के साथ कार्यक्रम का समापन किया और सभी का आभार जताया। कार्यक्रम का संचालन डीके पांडेय ने किया।
हिन्दुस्थान समाचार / कमलेश्वर शरण / प्रभात मिश्रा