उत्तराखंड के पर्वतीय शहरों में भूस्खलन के खतरे के आंकलन की तैयारी, नैनीताल से होगी शुरुआत

 




- नैनीताल को 29 हिस्सों में विभाजित करके होगी भू-गर्भीय जांच, छह महीने में रिपोर्ट तैयार करने का लक्ष्य

- लोक निर्माण विभाग, सिंचाई विभाग को सड़क और ड्रेनेज परियोजनाओं की योजना बनाने में मिलेगी मदद

नैनीताल, 05 सितंबर (हि.स.)। यूएलएमएमसी यानी उत्तराखंड भूस्खलन शमन एवं प्रबंधन केंद्र ने नैनीताल सहित राज्य के अन्य पर्वतीय शहरों में भू-गर्भीय जांच और भूस्खलन के खतरे के आंकलन की तैयारी शुरू कर दी है। नैनीताल पहला पर्वतीय नगर होगा, जहां यह अध्ययन सबसे पहले किया जाएगा। बताया जा रहा है कि इस अध्ययन से नगर में बेहतर ढंग से सड़क एवं ड्रेनेज की योजना बनाने में सहायता मिलेगी और भूस्खलन के खतरे को कम करने के उपाय सुझाए जाएंगे।

उल्लेखनीय है कि नैनीताल शहर में लगातार भूस्खलन की घटनाएं होती रहती हैं। इस कारण यूएलएमएमसी ने नगर में अब तक हुई सभी भूस्खलन की घटनाओं की जानकारी एकत्रित की है और पूर्व की घटनाओं के आधार पर नगर को 29 हिस्सों में विभाजित करके भू-गर्भीय जांच करने का निर्णय लिया है। इस अध्ययन के दौरान जमीन के ऊपर की जांच के साथ भू-गर्भ में मिट्टी की पानी में घुलनशीलता, चट्टानों के प्रकार, उनकी घनत्व और क्षमता व खनिजों की उपस्थिति आदि भू-गर्भीय संरचनाओं का भी अध्ययन किया जाएगा।

यूएलएमएमसी के निदेशक शांतनु सरकार ने बताया कि बरसात के बाद इस अध्ययन को शुरू करने और छह महीने में अध्ययन को पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है। यह भी बताया कि नैनीताल पहला पर्वतीय नगर होगा और इसे मॉडल स्टडी के रूप में प्रदेश के अन्य पर्वतीय शहरों में भी लागू किया जाएगा। अध्ययन के आधार पर नैनीताल शहर में भूस्खलन की दृष्टि से संवेदनशील स्थानों को चिह्नित किया जाएगा। साथ ही खतरे को कम करने के लिए सुरक्षात्मक कार्य करने का सुझाव एवं कार्यों के लिए दिशा-निर्देश भी तैयार किए जाएंगे, जो भविष्य में होने वाले कार्यों के लिए मार्गदर्शक बनेगी। इस रिपोर्ट से लोक निर्माण विभाग, सिंचाई विभाग आदि को सड़क और ड्रेनेज परियोजनाओं की योजना बनाने में मदद मिलेगी, जिससे भूस्खलन के खतरे को प्रभावी ढंग से कम किया जा सकेगा।

हिन्दुस्थान समाचार / डॉ. नवीन चन्द्र जोशी