पेरुमल मुरुगन और आधुनिक तमिल साहित्यिक परिदृश्य व चुनौतियों पर चर्चा
- दक्षिण भारतीय साहित्य के भौतिक, मानसिक परिदृश्यों पर विहंगम दृष्टि रखने का प्रयास
देहरादून, 10 अगस्त (हि.स.)। दून पुस्तकालय एवं शोध केंद्र सभागार में शनिवार की शाम पेरुमल मुरुगन और आधुनिक तमिल साहित्यिक परिदृश्य विषय पर वार्ता हुई। वार्ता में निकोलस हॉफलैंड की ओर से युवा अध्येता अम्मार यासिर नक़वी से बातचीत की गई। इसमें दक्षिण भारतीय साहित्य के भौतिक, मानसिक परिदृश्यों पर विहंगम दृष्टि रखने का प्रयास हुआ।
महत्वपूर्ण सवाल यह उठा कि क्या किसी समाज और उसके साहित्य के विकास को एक साथ समझा जा सकता है और क्या साहित्य समाज में बदलाव का उतप्रेरक बन सकता है। निकोलस और अम्मार नकवी के मध्य इन सभी बिंदुओं पर विमर्श हुआ। अम्मार नकवी ने तमिल क्षेत्र की समृद्ध साहित्यिक और सांस्कृतिक परंपराओं को उसकी संपूर्ण महिमा के साथ प्रस्तुत किया।
चर्चा का प्रारंभिक बिंदु पेरुमल मुरुगन के लेखन पर केंद्रित रहा। इमायम, सीएस चेलप्पा, बामा, सलमा, जानकीरमन जैसे लेखकों पर भी चर्चा हुई। महिला और दलित साहित्य पर भी चर्चा हुई। अम्मार नकवी ने साहित्य की लोकप्रियता और प्रचार-प्रसार पर पुरस्कार व प्रकाशनों की क्या भूमिका है, इस पर खास बात की। कुल मिलाकर इस बातचीत में तमिल संस्कृति और साहित्य का परिचय, साहित्यिक शैली के रूप में इसका विकास और संगम की समृद्ध विरासत, विश्व इतिहास में इसका अद्वितीय स्थान और इसकी निरंतरता व विकास जैसे महत्वपूर्ण विषयों पर सार्थक बात की गई। अंग्रेजी अनुवाद की भूमिका, उसकी शैलियां, स्वरूप और सामने आने वाली चुनौतियों पर भी विमर्श हुआ। साथ ही औपनिवेशिक और उत्तर औपनिवेशिक भारत में जनसाहित्य का विकास कैसे हुआ, समाचार पत्रों, पत्रिकाओं और साहित्यिक समाज की भूमिका पर भी चर्चा की गई।
वार्ताकार अम्मार नकवी पेशे से एक अकादमिक अनुवादक, लेखक, इतिहासकार, घुमक्कड़ और एक महत्वाकांक्षी शिक्षाविद हैं। अजीम प्रेमजी विश्वविद्यालय जैसे संगठनों के साथ अमन प्रकाशन और परिवर्तन प्रकाश जैसे कुछ क्षेत्रीय प्रकाशनों के लिए लेखक, अकादमिक प्रशिक्षक, अनुवादक, शोधकर्ता और संसाधन व्यक्ति के रूप में काम कर रहे हैं। उन्होंने बंगाल के दूर—दराज के हिस्सों में ग्रामीण क्षेत्रीय पुस्तकालयों की स्थापना की। कार्यक्रम की शुरुआत में दून पुस्तकालय एवं शोध केंद्र के प्रोग्राम एसोसिएट चंद्रशेखर तिवारी ने अतिथियों का स्वागत किया और इस तरह की पहल को साहित्य के क्षेत्र में महत्वपूर्ण बताया।
हिन्दुस्थान समाचार / कमलेश्वर शरण / वीरेन्द्र सिंह