“हिंदी भाषा: चेतना और संवेदना” बिषय पर व्याख्यान कार्यक्रम का आयोजन

 


हल्द्वानी, 23 सितंबर (हि.स.)। हिंदी एवं अन्य भारतीय भाषाएँ विभाग, मानविकी विद्याशाखा, उत्तराखण्ड मुक्त विश्वविद्यालय, हल्द्वानी द्वारा हिंदी पखवाड़े के अवसर पर एकदिवसीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया।

कार्यक्रम की शुरुआत हिंदी में हस्ताक्षर अभियान के साथ हुई। इसके बाद “हिंदी भाषा: चेतना और संवेदना” विषय पर व्याख्यान का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का आरंभ मंगलाचरण एवं दीप प्रज्ज्वलन से हुआ।

कार्यक्रम के अध्यक्ष कुलपति प्रोफेसर ओ पी एस नेगी ने कहा कि भाषा सर्वस्पर्शी है और हिंदी भाषा में देश को जोड़ने की क्षमता है, जिससे हमें गर्व होना चाहिए। मुख्य अतिथि प्रो दिनेश चमोला ने हिंदी साहित्य के विविध उदाहरणों के माध्यम से हिंदी की समवायिक स्थिति पर प्रकाश डाला। उन्होंने हिंदी को लोक की ताकत माना।

निदेशक प्रोफेसर रेनू प्रकाश ने कहा कि हिंदी दैनिक जीवन के लिए आवश्यक है और हमें इसे व्यावहारिक रूप में जानना होगा।

विशिष्ट वक्ता डॉ. मृत्युंजय, सीएसडीएस नई दिल्ली ने कहा कि हिंदी भाषा चेतना की भाषा है, जबकि डॉ. रविकांत ने इसे संस्कृति का संचारक बताया। कार्यक्रम के सह-संयोजक डॉ. शशांक शुक्ला ने चेतना के प्रभाव को भाषा से जोड़ा।

इस अवसर पर पुरस्कार वितरण का आयोजन भी किया गया, जिसमें डॉ. कांता प्रसाद को प्रथम, डॉ. मेधा पंत को द्वितीय, और दीप्ति कमल को तृतीय पुरस्कार दिया गया। कार्यक्रम में विश्वविद्यालय के निदेशक, प्राध्यापक, प्रशासनिक अधिकारी और अन्य 100 से अधिक लोग उपस्थित रहे।

हिन्दुस्थान समाचार / अनुपम गुप्ता